

मित्रों मोदीजी वादों के एकदम पकके है क्योंकि उन्होंनेगये साल पटना रैली मे ताल ठोककर कहाँ था कि मित्रों आपने जो प्यार दिया है उसे सूत समेत लोटाउंगा और ये पैकेज उसी प्यार का अद्भुत तोहफ़ा है बिहार के लिए और मेरे भाईयों बहनों याद रखना आपने ग़लती से भी इन चारा खाने वालों को बिहार को जंगलराज बनाने वालों को वोट दिया तो ये इस पैकेज को भी हज़म कर जाएँगे इसलिए बंधुओं भाजपा को ही प्रचंड बहुमत देना तो ही इस पैकेज का एक एक पैसा विकास के कामों मे लगेगा क्योंकि एक एक पैसे के हिसाब पर मोदीजी की नज़र रहेगी और पैसा सही जगह काम मे लगेगा भाईयों बहनों बिहार तक़दीर आप सब जनता के हाथो मे है तो आपको भाजपा को वो प्रचंड बहुमत देना है की बिहार के विकास मे कोई रोड़ा ना बन सके ।। एकमत बिहार बने भाजपा सरकार ।।.......Bahadur Singh


सही कहा है मोदीजी ने इसका DNA ही गलत है अगर ये मुस्लिम होता तो बात समझ भी आती ,पर ये दोगलापन देखो
अब दोगे इसे वोट ? पैदाइशी मुसलमान है क्या ये । जवाब दो हिन्दुओ? हिन्दू तो हिन्दू, अब तो इनका पढ़ा लिखा और समझदार मुस्लिम समाज भी वोट न देगा कहे से कि ई जनता का पक्का लोलू समझ लिए हैं, अबहिं देखे जाओ नेतागीरी छोड़कर ई फिलिम बनावे लगिहैं--Sanjay Dwivedy
Amit Sharma : भुजंग प्रसाद ..चन्दन कुमार को मिला ...गिरगिट वाल का साथदेखना दिलचस्प हे ....दिल्ली पहले बिहार बनती है ..बिहार पहले दिल्ली (बिना पानी बिजली wifi लोकपाल) ...
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यह सब 512 करोड़ रुपये के फंड का कमाल है,जो केजरीवाल ने अपने प्रचार प्रपोगंडा के लिए रखा है l केजरीवाल का एक पसंदीदा टीवी चेनल उन्हें भारत के लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों की श्रेणी में रख कर उन्हें सर्वाधिक लोकप्रिय मुख्यमंत्री बना रहा है। । अब तक तो पैसे के दम पर चुनाव ही जीता जाता था और सरकारे ही बनार्इ जाती थी, किन्तु अब लोकप्रियता भी खरीदी जा सकती है। भारत की राजनीति में केजरीवाल का जन्म अभी-अभी हुआ है, किन्तु महाधूर्त राजनेताओं की दौड़ में वे सब से आगे चल रहे हैं। व्यवस्था बदलने और भ्रष्टाचार मिटाने का नारा लगाते हुए राजनीति में अवतरित हुए इस शख्स ने सार्वजनिक जीवन के सभी नैतिक मापदंडो को तिरोहित कर दिया है।
दिल्ली में रिकार्ड जीत से केजरीवाल का दिमागी संतुलन गड़ब़ड़ा गया है। उन्हें फिर भारत का प्रधानमंत्री बनने के सपने आ रहे हैं। नरेन्द्र मोदी के प्रबल आलोचक वे इसीलिए बन गये हैं, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनावों में वे मोदी को अपना प्रमुख प्रतिद्वंद्वी मान रहे हैं। उनके छुट भैया शार्गिद भी अपने आपको अब भारत के भावी गृहमंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री के समकक्ष मान रहे हैं। इन सभी को लग रहा है जैसे इनसे ज्यादा बुद्धिमान राजनेता भारत की राजनीति में कोर्इ है ही नहीं। भारत की केन्द्रीय सत्ता बस इनसे कुछ दूरी पर ही है। सम्भवत: इसी भ्रम में केन्द्र सरकार की किसी भी नीति और निर्णय को ले कर ये ट्वीट करने में सबसे आगे रहते हैं। इनके व्यवहार से ऐसा लग रहा है,जैसे ये राजनीति में वर्षों से जमे हुए हैं और इन्हें अच्छा खासा अनुभव है। मीडिया से जुड़ कर और अपने बयानों को प्रसारित करवा कर ये समझ बैठे हैं कि हम राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं।
अन्ना के भ्रष्टाचार आंदोलन को अंतिम आहुति दें अब केजरीवाल टीम लालू-नीतश का प्रचार करने बिहार जाने वाली है। उनके इस साहसिक कदम से यह तथ्य उजागर हो जायेगा कि भ्रष्टाचार उनके लिए एक चुनावी नारे से ज्यादा कुछ नहीं है। पूरे देश से जो लोग भ्रष्ट व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए अन्ना और केजरीवाल से जुड़े थे, उनसे पूरी तरह अब नाता तोड़ चुके हैं। केजरीवाल यह मान बैठें हैं कि लालू-नीतीश से गले लग कर ही वे सत्ता के शीर्ष पर चढ़ने का रास्ता खोज सकते हैं। देशभक्त और स्वाभिमानी आंदोलनकारी अब उनके किसी काम के नहीं है। केजरीवाल को लग रहा है कि समर्पित कार्यकर्ताओं की अपेक्षा भाड़े के लोग ज्यादा काम करते हैं। इसलिए वे अपने सारे चहेतों को सरकारी खजाने से बकायदा वैतन व अन्य सविधाएं मुहैया करा रहे हैं। भारत की यह पहली राजनीति पार्टी है, जिसने अपनी प्रायोजित सभा में किसी हंगामें को रोकने के लिए पेशेवर पहलवान रख रखे हैं।
केजरीवाल दर्शन के अनुसार राजनीति झूठ, छल और तिकड़म का खेल हैं, जिसमें सत्य, आदर्श और सिद्धान्त कोर्इ स्थान नहीं रहता। एक बार यदि सत्ता हाथ में आ जाय तो उसका उपयोग जनता के लिए नहीं, बल्कि अपना राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिए खुल कर करना चाहिये। किसी गलत काम को करने के पहले हिचकों नहीं, घबराओं नहीं, क्योंकि राजनीति में सारे गलत काम जायज होते है। जनता को बहलाने के लिए झूठ बोलते रहो, झूठे वादे करते रहो और अपनी नाकामियों का ठीकरा अपने विरोधियों के सर पर फोड़ते रहो।
लालू ने भ्रष्टाचार किया था। सरकारी पैसे का गबन किया था। न्यायालय में अपराध साबित हो चुका हैं। उन्हें सजा हुर्इ है और इस समय वे जमानत पर छूटे हुए हैं। लालू के भ्रष्टाचार को उजागर करने और उन्हें सजा दिलाने में नीतीश कुमार ने महत्पूर्ण भूमिका निभार्इ थी। परन्तु नरेन्द्र मोदी के बढ़ते प्रभाव से आतंकित हो कर लालू-नीतीश जो एक दूसरे के प्रबल राजनीतिक शत्रु हैं एक साथ आये हैं। दोनों का मकसद एक है- अपने राजनीतिक भविष्य को बचाना। इस गठबंधन के साथ कांग्रेस भी जुड़ी हुर्इ है, जिसके भ्रष्टाचार से ही वे राजनीति में प्रतिष्ठापित हो कर दिल्ली के मुख्यमंत्री बने हैं। ऐसे अपव़ित्र गठबंधन का समर्थन करने के लिए अरविंद केजरीवाल बिहार जायेंगे। अर्थात लालू-नीतीश और कांग्रेस की जोड़ी को र्इमानदारी का प्रमाणत्र देंगे। दिल्ली की जनता उनका यह रुप देख कर शर्म से पानी-पानी हो गर्इ हैं। एक धोखेबाज और महाधूर्त व्यक्ति को दिल्ली की सत्ता सौंप कर उसने कितनी बड़ी गलती की है, इसका धीरे-धीरे अहसास हो रहा है। केजरीवाल यह कैसे मान बैठे हैं कि उनके इस निर्णय से उनकी अखिल भारतीय छवि बन रही है।
चाहे दिल्ली की जनता ने धोखा खाया, किन्तु भारत की जनता ऐसे धोखेबाज को कभी अपना नेता कभी नहीं स्वीकार करेगी। टीवी चेनलों में जनता का धन उडेल कर वे लोकप्रिय मुख्यमंत्री होने का झूठा प्रचार करवा लें, परन्तु जो जनता की निगाह से एक बार उतर गया है, वो फिर नहीं चढ़ सकता। अपवित्र गठबंधन के साथ जुड़ कर केजरीवाल ने अपना वास्तविक चेहरा जनता को दिखा दिया है। भारतीय राजनीति का स्तर इतना भी घटिया नहीं हो गया है कि कोर्इ भी व्यक्ति नरेन्द्र मोदी की आलोचना करने से अखिल भारतीय स्तर का नेता बन जायेगा। अपने प्रचार में करोड़ो फूंक कर केजरीवाल यह समझ रहें है कि पूरे देश की जनता उन्हें सम्मानित कर रही है, तो यह भी उनका भ्रम है। यदि मीडिया के सहारे ही नेताओं की छवि बनती बिगड़ती है तो नरेन्द्र मोदी कभी भारत के प्रधानमंत्री नहीं बनते और सोनिया गांधी के हाथों से सत्ता की डोर नहीं फिसलती।
