We are the only living beings on earth who has this belief and the contradictions are the cause of all unhappiness !! An earth with no relegion to follow will make it b a better place to live now. Buddha never created Buddhism, it is his followers who made an exclusive group, same Jesus never created Christianity , it is his followers who created this exclusive zone, All religion we found are creation of some people to have a pseudo-political purpose.
Samir Kumar Singh : एक बात मैं दावे से कह सकता हूँ कि बड़े बड़े नेता और पहुंचे हुए मीडिया के पत्रकार भी इस्लाम वास्तव में क्या है वो नहीं जानते .. खुद मुस्लिम को छोड़ कर जितने भी लोग हैं वो सब इस्लाम उतना ही जानते हैं जितना फ़िल्म जंजीर के प्राण से लेकर आज के फ़िल्म पीके का आमिर खान ने वताया है याने जिसके सर पर जालीदार टोपी लगा तो समझो वो सीधा 100% सच बोलने वाला और रहमदिल इंसान बन गया .. जैसे ही घुटने के बल बैठ कर हवा छोड़ते हुए धमाके के साथ अजान पढ़ा तो समझो अब वो पक्का विश्वासी आदमी है . ..ये भारत के लोगों को इस्लाम समझाया है तो फिल्मो ने ..मतलब ..हम पठान का बच्चा है जबान से नहीं हिलेगा, नाम अब्दुल है मेरा सबकी खबर रखता हूँ,पांच वक़्त का नमाजी हूँ धोखा नहीं देगा, "कसम है परवरदिगार की ".. ऐसा किसी ने बोला तो समझो वो आसमान से तारे भी ला देगा,अगर मुसीबत की घडी है और दूर से बल्लाह बल्लाह की आवाज आई तो समझो सब मुसीबत गयी तेल लेने..सबसे खतरनाक व्यक्ति गुंडा में या पुलिस में वही है जो कुरता पहन के आँखों में काजल लगा ले..

आज पुरे हिंदुस्तान के दिलो दिमाग में इस्लाम का मतलब यही है नतीजा इनकी असलियत से दूर सब याकूब जैसो के लिए भी छाती पीटने लगते हैं .. कि भेये बचाओ नमाजी को .. टोपी वाले को .. अबे देख तो लो कि कैसे कर कर के कितने मेहनत से 259 लोगों को मारने के लिए उसने कितनी मेहनत की थी.. बस उड़ने लगते हो दीपक रंगरसिया और मोहम्मद रविश की बातो पर....अब समझाए कौन कि ये सब फ़िल्मी बातें है वास्तव में वो ................. है...
Samir Kumar Singh : एक बात मैं दावे से कह सकता हूँ कि बड़े बड़े नेता और पहुंचे हुए मीडिया के पत्रकार भी इस्लाम वास्तव में क्या है वो नहीं जानते .. खुद मुस्लिम को छोड़ कर जितने भी लोग हैं वो सब इस्लाम उतना ही जानते हैं जितना फ़िल्म जंजीर के प्राण से लेकर आज के फ़िल्म पीके का आमिर खान ने वताया है याने जिसके सर पर जालीदार टोपी लगा तो समझो वो सीधा 100% सच बोलने वाला और रहमदिल इंसान बन गया .. जैसे ही घुटने के बल बैठ कर हवा छोड़ते हुए धमाके के साथ अजान पढ़ा तो समझो अब वो पक्का विश्वासी आदमी है . ..ये भारत के लोगों को इस्लाम समझाया है तो फिल्मो ने ..मतलब ..हम पठान का बच्चा है जबान से नहीं हिलेगा, नाम अब्दुल है मेरा सबकी खबर रखता हूँ,पांच वक़्त का नमाजी हूँ धोखा नहीं देगा, "कसम है परवरदिगार की ".. ऐसा किसी ने बोला तो समझो वो आसमान से तारे भी ला देगा,अगर मुसीबत की घडी है और दूर से बल्लाह बल्लाह की आवाज आई तो समझो सब मुसीबत गयी तेल लेने..सबसे खतरनाक व्यक्ति गुंडा में या पुलिस में वही है जो कुरता पहन के आँखों में काजल लगा ले..

आज पुरे हिंदुस्तान के दिलो दिमाग में इस्लाम का मतलब यही है नतीजा इनकी असलियत से दूर सब याकूब जैसो के लिए भी छाती पीटने लगते हैं .. कि भेये बचाओ नमाजी को .. टोपी वाले को .. अबे देख तो लो कि कैसे कर कर के कितने मेहनत से 259 लोगों को मारने के लिए उसने कितनी मेहनत की थी.. बस उड़ने लगते हो दीपक रंगरसिया और मोहम्मद रविश की बातो पर....अब समझाए कौन कि ये सब फ़िल्मी बातें है वास्तव में वो ................. है...

आज पुरे हिंदुस्तान के दिलो दिमाग में इस्लाम का मतलब यही है नतीजा इनकी असलियत से दूर सब याकूब जैसो के लिए भी छाती पीटने लगते हैं .. कि भेये बचाओ नमाजी को .. टोपी वाले को .. अबे देख तो लो कि कैसे कर कर के कितने मेहनत से 259 लोगों को मारने के लिए उसने कितनी मेहनत की थी.. बस उड़ने लगते हो दीपक रंगरसिया और मोहम्मद रविश की बातो पर....अब समझाए कौन कि ये सब फ़िल्मी बातें है वास्तव में वो ................. है...


