एक प्रवासी बिहारी रितेश माधव की पीड़ा "हमें शौक नही दिल्ली और बम्बई की जूतमपैजार बर्दाश्त करें" !!


बिहारियों के खिलाफ महागठबंधन का षड्यंत्र. ..!


बिहार का १९९० से लेकर २००५ तक एक मसखरे नेता(?) ने या फिर उसकी अनपढ़ पत्नी ने वहा पर सत्ता चलाई..... क्या हुआ उस समय बिहार में.....? शायद मुझे बताने की जरुरत नहीं.......तुर्रा यह कि ये आजतक मसखरी ही कर रहे है.....और आप ताली बजा रहे है.....

पिछले १० साल से तथाकथित सुशासन बाबू हैं..... यह कौन सा सुशासन है कि १० साल मे आप प्रवासियों को बम्बई दिल्ली जाने से रोक ना पाये...... ५ साल बहुत होते है, किसी भी प्रदेश का चमत्कारिक विकास करने के लिये...... 

ना भरोसा हो तो चन्द्रबाबू नायडू का आन्ध्र प्रदेश वाला पिछला कार्यकाल देख लो...... जब बिल क्लिंटन भारत आते हो और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ साथ एक प्रदेश के मुख्यमंत्री नायडू से फोन पर बात करते हों...... नायडू के मास की महक नही उसका काम मजबूर किया था क्लिंटन को.... 

नेता जी..... हमें भी शौक नही होता कि हम अपने घर से इतनी दूर यहा आकर दिल्ली और बम्बई की जूतमपैजार बर्दाश्त करें.... यह आप सबकी कालान्तर की नीतियाँ ही है जो हमें आज यहा पर लाकर पटक रखी हैं..... किस अस्मिता की बात करते हो यार..... इसका चीरहरण तुम्ही ने किया है.... 

दुशासन भी तुम्ही हो दुर्योंधन भी तुम्ही हो और धृतराष्ट्र भी तुम्ही..... इस अस्मिता को वेश्या बनाने वाले कर्ण भी तुम्ही हो......

 



यक़ीन मानो जब दिन भर की जूतमपैजार के बाद लौटकर अपने रेन्टेड आशियाने पर आता हू ना घर की बहुत याद आती है...... थका हारा होने के बाद जब पेट की आग बुझाने के लिये आटा गूथने बैठता हू ना (जो कि कभी कभी होता है, वरना चावल ही बना करता है) तो मा के हाथ की रोटी की महक नथुनो तक पहुँच जाया करती है....... 

कितनी राते बिना निवाले के गुज़ारी है.... इसकी गिनती करने बैठोगे तो नही कर पाओगे...... बुखार मे तपता हुआ रीतेश जब घर पर फोन से बात करता है, तो पूरा ख़याल रखता है कि मॉं को पता ना चल जाय कि मै बीमार हू.... कर तो कुछ पायेगी नही वो, शायद भूखी ही सो जाय..... 

वहा हैदराबाद मे चिकनपाक्स से जलते हुये माधव को खुद ही उठकर दवा लाना है.... ऐसा नही है कि हम अनाथ है, पर अनाथों वाला जीवन आपने ही हमारे हाथ की लकीरों मे खींच दिया.....

साहब लोग कुछ ऐसा करिये कि बेटों को उनकी मा से अलग ना होना पड़े.... फिर बिहार और उत्तर प्रदेश की अस्मिता सिर्फ बम्बई दिल्ली ही नही..... न्यूयार्क, लन्दन, म्यूनिख और सिडनी... कैनबरा मे भी सुरक्षित रहेगी.......