एक पिता की युवा औलाद एकदम नकारा थी । तंग आकर पिता ने ऐलान कर दिया की आज से खाना तभी मिलेगा जब 100 रुपये कमाकर लायेंगा । माँ ने नकारे बेटे को चुपचाप 100 रुपये दे दिये और कहा शाम को आकर बोल देना की कमाये है ।
शाम को लडका घर आया तो पिता को 100 रूपये दिखायें,पिता ने कहा इस नोट को नाली में फेँक आओं.....लडका तुरंत नोट नाली मे फेंक आया । पिता समझ चुका था की ये इसकी मेहनत की कमाई नही । पिता ने अपनी पत्नी को मायके भेज दिया ताकि वो बेटे की मदद ना कर पायें ।
आज फिर बेटे को 100 रुपये कमाकर लाने थे तो लडके के पास मेहनत करके कमाने के अलावा कोई चारा ना बचा 1 शाम को वो जब 100 रुपये कमाकर घर लोटा तो पिता नें फिर से उस नोट को नाली मे डालने को कहा तौ लडके ने साफ मना कर दिया क्यो की आज उसे इस नोट की कीमत पता चल गयी थी !! #पुरुस्कार लोटाने वाले लेखक और फील्मकार इस पोस्ट को दिल पर ना लें..........




चलो इसी बहाने देश का सम्मान वापस तो लौट रहा है,
जो गलत जगह चला गया था !!.........Jayprakash Gandhawani
साहित्यकारों के पश्चात बॉलीवुड के 12 फिल्मकारों ने भी अपने नेशनल अवार्ड लौटाये। मोदी विरोध में ये अवार्ड वापसी के स्थान पर भारत छोड़ने का निर्णय लेते तो जनसँख्या के साथ देशद्रोहियों की सँख्या भी कम होती।


ये अवार्ड वापसी का कार्यक्रम खान्ग्रेस एवँ पाकिस्तान करवा रहे हैं ? क्योंकि भारत में एक कमज़ोर सरकार रहे, ये पाकिस्तान के फेवर में रहता है। पर इन को ये पता नहीं कि भारत का राष्ट्रवादी हिन्दू अब गहरी नींद से जाग गया है। जितना अवार्ड वापसी का अभियान तेज होगा मोदीजी एवँ भाजपा और अधिक मज़बूती से उभरेंगे। और हाँ इन साहित्यकारों एवँ फिल्मकारों को अवार्ड मिलने पर इतना धन नहीं मिला होगा जितना अवार्ड लौटाने पर मिल रहा है? पाकिस्तान, खान्ग्रेस एवँ अन्य सेक्युलर दल इसके लिए फंडिंग कर रहे हैं?.....राजपाल दूलर