"Communal Hate-Tweeting" Burning More Hindus than the Kollam Tragedy ,

        


                                            



ऐसा शायद इतिहास में पहली बार ही हुआ होगा जब एक प्रधानमंत्री घटनास्थल पर पेन और पेपर लेकर जरूरतों के बारे में नोट्स बना रहा हो।


केरल के पुत्तिंगल मंदिर में आग लगी नहीं लगवाई गयी lक्या आतिशबाजी और पटाखों से ऐसी आग की कल्पना की जा सकती है जिसमें जलकर सैकड़ों लोग मारे जायं ? वो भी किसी बंद स्थान में नहीं बल्कि एक खुले मंदिर परिसर में ? 

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केरल के कोल्लम स्थित जिस पुत्तिंगल मंदिर में आग लगी वह एक खुला मंदिर परिसर था जहाँ आतिशबाजी और बड़ी मात्रा में पटाखे छुड़ाना आम बात है, फिर ऐसा क्या हुआ जो मंदिर में आग लग गयी वो भी इतनी भीषण ?
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बताया जा रहा है आग के दौरान जोरदार विस्फोट भी हुए और आग इतनी भयंकर थी कि दो-ढाई किलोमीटर तक इसका प्रभाव महसूस किया गया, समाचारों से प्राप्त तथ्यों का विश्लेषण करने पर ये पचा पाना बेहद मुश्किल कार्य है कि आग अपने लगी......पर ऐसे आरोपों को लेकर सवाल उठता है भला कोई मंदिर में क्यों आग लगवाएगा ? 
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तो इसका उत्तर यह है कि, केरल भारत के उन राज्यों में से है जहां सनातन धर्म का पतन अपने अंतिम चरण हैं, केरल में आज ईसाईयों का, जिहादियों का, वामपंथियों नास्तिकों का बोलबाला है, मिशनरियाँ केरल में इतनी मजबूत हैं कि वह कुछ भी करवा सकती हैं l मंदिर में आग लगने जैसे घटनाक्रमों से भारत विरोधी शक्तियों को काफी फायदा मिलेगा, एक केरल के बचे खुचे हिन्दू अपनी परंपरा और रीतिरिवाजों से विमुख होंगे जिस कारण उनका झुकाव वामपंथ और नास्तिकता की तरफ बढ़ेगा दूसरा ईसाई मिशनरियां अपने काम में जुट जाएँगी और यह कहकर कि तुम्हारे देवता बेकार हैं यीशु की शरण में आओ वह धर्म परिवर्तन का गंदा खेल शुरू करेंगी (ज्ञात हो कि भारत में शूरू शुरू में ऐसे ही कनवर्जन गेम चला करता था)
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केरल में सनातन विरोधी लहर किस कदर से सुनामी बन गयी है ये आज खुद केरल जाकर देखा जा सकता है जिस कारण मंदिर में आग खुद लगी इस पर विश्वास कर पाना कम से कम हमारे लिए संभव नहीं है और एक मुख्य बात देश में जब किसी चर्च में आग lलगती है तो वो हमेशा ऐसे पेश की जाती है जैसे किसी न किसी के द्वारा आग लगाई गयी ही होती है लेकिन जब मंदिर में कभी आग लगती है तो वो खुद लगी होती है, आखिर इसके पीछे क्या लॉजिक है ?
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ये सब नास्तिकता बढाने और ईसाई मिशनरियों के रास्ते आसान करने के हथकंडे हैं और कुछ नही, मीडिया तो खैर असलियत दिखाने से रही इसके साथ ही इसमें सरकारों से भी किसी प्रकार की जाँच की आस रखना बेकार है , हमें अच्छी तरह याद है अभी कुछ महीने पहले ऐसे ही हिमाचल में हजारों वर्ष पुराना शिव मंदिर जो कि 'पांडवों' द्वारा निर्मित किया गया था और संभवतः हिमाचल का सबसे प्राचीन मंदिर था वह पूरी तरह से जलकर खाक हो गया था, यहाँ सिर्फ मंदिर ही नही जला था बल्कि उसमें रखी 20 के करीब अष्टधातु की मूर्तियाँ भी जलकर राख हो गयी थीं, लेकिन जांच की बात तो दूर मीडिया ने इतने महत्त्वपूर्ण मंदिर के बारे में दिखाना भी उचित नहीं समझा
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इसी जगह पर अगर देश के किसी प्रांत में चर्च पर शार्ट सर्किट से लगी चिंगारी भी गिर जाय तो उसे हिन्दुओ द्वारा लगाई गयी आग बताया जाता है l मिशनरी मीडिया और राजनीति के इस खेल को समझें यहाँ कुछ भी अपने आप नहीं होता हर क्रिया के पीछे एक 'वजह' होती है ! पटाखों से आग लग सकती है पर ऐसे चीथड़े उड़ जाना मन्दिर के केवल डायनामाइट से ही सम्भव है! कदाचित मेरा मानना गलत हो सकता है परंतु विचारणीय अवश्य है l.......................Kumar Gyanendra