

#JNU से अफजल तो नहीं निकला पर #NIT_श्रीनगर से ''भगत सिंह और चन्द्रशेखर आज़ाद'' जरूर निकल आये !
अरविन्द केजरीवाल,और राहुल गांधी + अन्य सेकुलर कीड़े रोहित वेमुल्ला पर घड़ियाली आसूं बहाने हैदराबाद पहुंच गए ! देशद्रोही कन्हैया कुमार और उमर खा-लीद का सपोर्ट करने #JNU पहुंच गए पर अभी तक NIT श्रीनगर नहीं पहुंचे ! अरे NIT श्रीनगर के छात्र अलग है क्या ? या हैदरावद से श्रीनगर ज्यादा दूर है ? कांग्रेस की यह लडाई देश बचाने लिये नही है, यह लडाई कांग्रेसीयो के अहंकार, अपने को बचाने व कांग्रेस का अस्तित्व बचाने की है l मित्रो वोट के लालची इन भेड़ियों की पोल खोले ! #भारत_माता_की_जय !........................................Nageshwar Singh Baghel



#JNU से अफजल तो नहीं निकला पर #NIT_श्रीनगर से ''भगत सिंह और चन्द्रशेखर आज़ाद'' जरूर निकल आये !
बुरे मे कुछ अच्छा भी खोजो.. क्या अब से पहले NIT श्रीनगर मे क्रिकेट मे भारत की हार पर जश्न नही मनाया गया.? क्या पहले वहा कभी नही लगे भारत विरोधी नारे.? ये तो पहले से ही वहा होता आया है.. परन्तु देशभक्त छात्र अपमान का घूट पीकर सब कुछ सहते रहते थे।
अब देशभक्त छात्रो मे साहस आया उन्होने मुखर होकर विरोध किया.. क्यो.? देश मे राष्ट्रवादी लोग सत्ता मे आये.. कश्मीर मे भी साझी सत्ता मे आये ये इन राष्ट्रवादी छात्रो के उसी मनोबल का परिणाम है।
वेसे भी जम्मू कश्मीर पुलिस का चरित्र तो सभी को बहुत पहले से ही मालूम है। राष्ट्रवादीयो के साथ साझी सत्ता का दबाव इस पुलिस पर भी है.. इसीलिये राष्ट्रवादियो को बदनाम करने के लिये पुलिस के अधिकारियो ने छात्रो पर प्रहार किये।
अब इसी कारण से NIT श्रीनगर की हकीकत लोगो को पता लगी, कुछ पाने के लिये कुछ खोना तो पडता ही है, लडाई कागज कलम से नही सडको पर उतर कर होती है। और सडक पर उतरने के कारण ही.. आज वे केन्द्रीय सैनिक बलो की सुरक्षा मे आ सके। देश की अन्य यूनिवर्सिटीयो व विधालयो की और देखे 2014 से पहले वहा क्या-क्या होता था, और अब क्या हो रहा है,


Congress should be ashamed of Rahul Gandhi's support to 'anti-nationals' in JNU: Amit Shah
उदाहरण हैदराबाद यूनि० व जेएनयू का ही देखो वहा पर भी राष्ट्रवादी सरकार बनने के बाद ही तो राष्ट्रवादी छात्र सगंठन ABVP के छात्रो के हौंसले बढे है, जिसके परिणाम मे अब वहा राष्ट्रविरोधी छात्र लगभग सफाये के कगार पर है, इसी कारण वहा बदलाव की हवा चली है।
बदलाव होगा परन्तु एक दम सब कुछ सही नही हो सकता इसके लिये धीरे-धीरे सतत् प्रयास की जरूरत होती है,और वह निरंतर चल रहा है।
और इस घटना का सबसे सुखद परिणाम यह आया कि जो लोग जेएनयू मे देश को टुकडे- टुकडे करने वालो के समर्थन मे खडे थे उनमे से ही कुछ लोग अब भाजपा सरकार को घेरने मे लगे है, देश मे दो कानूनो का विरोध भी किया है.. मुझे पता है वे अपनी बात पर खडे नही रहेंगे.. परन्तु देश मे राष्ट्रवादी छात्रो के समर्थन मे कुछ तो हुआ है.....................घनश्याम अग्रवाल
