21 जून.......It's International Yoga Day!


आज विश्व योग दिवस है। बधाइयाँ!!
अक्सर हम लोग योग का अर्थ आसान-प्राणायाम समझते हैं।
वस्तुतः योग ईश्वर प्राप्ति की हिंदुत्व आधारित वैज्ञानिक पद्धति है जिसे महर्षि पतंजलि ने संकलित एवं व्यवस्थित किया था। *इस पद्धति को पतंजलि-कृत-अष्टांगयोग के नाम से भी जाना जाता है।* जैसा कि नाम से स्पष्ट है, इस पद्धति के आठ अंग हैं। आइये जानते हैं कि ये आठ अंग कौन कौन से हैं?
1. *यम
पांच सामाजिक नैतिकता
(क) अहिंसा – शब्दों से, विचारों से और कर्मों से किसी को हानि नहीं पहुँचाना
(ख) सत्य – विचारों में सत्यता, परम-सत्य में स्थित रहना
(ग) अस्तेय – चोर-प्रवृति का न होना
(घ) ब्रह्मचर्य – दो अर्थ हैं:
• चेतना को ब्रह्म के ज्ञान में स्थिर करना
• सभी इन्द्रिय-जनित सुखों में संयम बरतना
(च) अपरिग्रह – आवश्यकता से अधिक संचय नहीं करना और
दूसरों की वस्तुओं की इच्छा नहीं करना
पांच सामाजिक नैतिकता
(क) अहिंसा – शब्दों से, विचारों से और कर्मों से किसी को हानि नहीं पहुँचाना
(ख) सत्य – विचारों में सत्यता, परम-सत्य में स्थित रहना
(ग) अस्तेय – चोर-प्रवृति का न होना
(घ) ब्रह्मचर्य – दो अर्थ हैं:
• चेतना को ब्रह्म के ज्ञान में स्थिर करना
• सभी इन्द्रिय-जनित सुखों में संयम बरतना
(च) अपरिग्रह – आवश्यकता से अधिक संचय नहीं करना और
दूसरों की वस्तुओं की इच्छा नहीं करना
2. *नियम
पाच व्यक्तिगत नैतिकता
(क) शौच – शरीर और मन की शुद्धि
(ख) संतोष – संतुष्ट और प्रसन्न रहना
(ग) तप – स्वयं से अनुशाषित रहना
(घ) स्वाध्याय – आत्मचिंतन करना
(च) ईश्वर-प्रणिधान – ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण, पूर्ण श्रद्धा
पाच व्यक्तिगत नैतिकता
(क) शौच – शरीर और मन की शुद्धि
(ख) संतोष – संतुष्ट और प्रसन्न रहना
(ग) तप – स्वयं से अनुशाषित रहना
(घ) स्वाध्याय – आत्मचिंतन करना
(च) ईश्वर-प्रणिधान – ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण, पूर्ण श्रद्धा
3. *आसन
योगासनों द्वारा शरीरिक नियंत्रण
4. *प्राणायाम
श्वास-लेने सम्बन्धी खास तकनीकों द्वारा प्राण (सांसों) पर नियंत्रण
5. *प्रत्याहार
इन्द्रियों को अंतर्मुखी करना
6. *धारणा
एकाग्रचित्त होना
7. *ध्यान
निरंतर ध्यान (परमात्मा का)
8. *समाधि
अवस्था- *ईश्वर की प्राप्ति*
आत्मा से जुड़ना- शब्दों से परे परम-चैतन्य कीअवस्था- *ईश्वर की प्राप्ति*
*आइये आज प्रारम्भ से प्रारम्भ करें*..............Sonali Singh Bjp

