देशघाती शक्तियों ने से ऐसी धारणा स्थापित कर दी है, मानों पूरे जम्मू कश्मीर में भयंकर असंतोष है।

कोई माने या ना माने कश्मीर के ऊपर इतिहास का सबसे शानदार लेख है यह सिर्फ इस लेख के कारण मैं श्री निंदक नियरे राखिये यानि सुभाष शर्मा जी से मिलने के लिए उत्सुक हूँ चूँकि मैंने कश्मीर में रहकर स्वयं अनुभव किया हूँ इस परिस्थिति को, इसलिए दावे से कहता हूँ इस लेख के समकक्ष मैंने आज तक कुछ नहीं पढ़ा............अजीत भोंसले



बड़ा शोर है, जम्मू कश्मीर! जम्मू कश्मीर! जम्मू कश्मीर!

बरसों से यह बहुत बड़ा षड़यंत्र चल रहा है। जम्मू कश्मीर के संलग्न चित्र में अशांत क्षेत्र को लालघेरे में दिखाया है। आपकी आसानी के लिए एक तीर उस ओर संकेत कर रहा है। यही ज़रा सा क्षेत्र देश और पाक-पोषित कठमुल्लों के बीच रणभूमि बना हुआ है।आश्चर्य इस बात का है कि कितनी ही सरकारें आयीं, वे भी इस झूठ का खण्डन नहीं करतीं कि पूरा जम्मू कश्मीर गुनाहगार क्यों?
जम्मू कश्मीर नामक विशाल प्रान्त का कुछ भाग पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है, जिसका एक टुकडा वो ड्रैगन के हवाले कर चुका है। शेष कश्मीर में तीन क्षेत्र हैं, जम्मू, घाटी और लद्दाख। सर्वाधिक बड़े भूभाग में लद्दाख विस्तृत है और सबसे छोटे भूभाग में समाई है कश्मीर घाटी। सन 1948 से जो कुछ बवाल है वो इसी कश्मीर घाटी में है। लेकिन देशघाती शक्तियों ने अपने गुलाम मीडिया की सहायता से ऐसी धारणा स्थापित कर दी है, मानों पूरे जम्मू कश्मीर में भयंकर असंतोष है।
असंतोष तो जम्मू और लद्दाख में भी बहुत है, किन्तु किसके विरुद्ध? वह सारा असंतोष घटिए (घाटी के) मुसलामानों के प्रति है। ज़रा सी घाटी! जो तमाम संसाधनों पर कब्जा किये बैठी थी। केंद्र से आने वाले अरबों-खरबों को अकेले लूटती रही। क्या दोष था जम्मू और लद्दाख का? यही कि वे पाकपरस्त मुस्लिम बहुल नहीं हैं। वे अपने देश "भारत वर्ष" के प्रति निष्ठावान क्यों हैं?

             

घाटी के अतिरिक्त जम्मू और लद्दाख को प्रादेशिक सरकार में पहली बार न्यायोचित प्रतिनिधित्व मिला। देशघाती तभी से अंगारों पर लौट रहे थे। वो गुलाम नबी आज़ाद, जो बरसों से दूसरे प्रदेशों से राज्यसभा में आकर सत्तासुख भोगता रहा, उस गुलाम को आज कश्मीरियत याद आ रही है। ये कश्मीरियत क्या है बे! हरामखोरों! मुल्लाबहुल कश्मीरियत के सामने तुम्हारे लिए जम्मूयत और लद्दाखियत कुछ नहीं?
सत्तावंचित सारे घाटिए कठमुल्ले देशद्रोही जमात में शामिल हो गए हैं। ब्लैकमेलर यासीन मलिकों और गिलानियों की केंद्र से सप्लाई-लाइन काटी जा चुकी है। रही-सही कसर अब पूरी हो रही है, घाटिये कठमुल्ले स्थानीय पुलिस पर हमले कर रहे हैं। उसी पुलिस पर, जिसे सँख्याबल की दृष्टि से वे अपनी मानते थे। राज्य सरकार गुण्डा तत्वों का पूरी शक्ति से दुष्ट-दलन कर रही है। आज वहाँ के गुण्डा तत्वों के विरुद्ध सेना से अधिक संघर्ष वहाँ का प्रशासन और पुलिस कर रही है।



वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा बहुत पुरानी व्याधि के उपचार का सार्थक प्रयास हो रहा है। ब्लेकमेलारों-दलालों का पत्ता साफ़ है। उन्हें कोई घास नहीं डाली जा रही।कुछ दिन पहले मैंने इसीलिये निवेदन किया था कि कश्मीर पर कुछ कहने में अभी संयम रखना चाहिए। और हाँ, समस्याग्रस्त क्षेत्र को "जम्मू और कश्मीर" कह कर तथा गुण्डातत्वों को "अलगाववादी" मानकर देशद्रोहियों का सहयोग न करें। ये केवल वहाँ के दो-चार जिलों में फैले घटिये मुल्ले गुण्डे हैं बस! ऐसे गुण्डे तो कैराना में भी भतेरे भरे पड़े हैं !

'ब्लैक डे' का मुस्लिम औरतों ने यूं दिया जवाब

आतंकवादी बुरहान वानी को कश्मीर में सेना के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के बाद पाकिस्तान के सोमवार को काला दिवस मनाने की घोषणा का जवाब वाराणसी की मुस्लिम महिलाओं ने जोरदार तरीके से दिया।