काबे किस मुंह से जाओगे गालिब, शर्म तुमको है आती, किसी मुस्लिम का कलेजा पानी ना हुआ...क्योंकि मरने वाले काफिर थे.!!

हाल ही में दो अलग अलग जगहों की घटनाओं पर मुस्लिमों की प्रतिक्रिया देखकर दो बातें क्लियर है जो की पहले से ही क्लियर थी....पहली घटना....स्थान कश्मीर...भारत।


घटना की वजह... आतंक को बढ़ावा देने वाले एक मुस्लिम आतंकी को सुक्षाबलों द्वारा मार गिराये जाने पर कश्मीर समेत पूरे इंडिया के मुस्लिम्स की भावनायें आहत हो जाती हैं... मुस्लिमों पर हो रहे तथाकथित अत्याचारों से आहत होकर की कई दिनों तक मुसलमानों के घर का चूल्हा नहीं जलता... सरकार को पानी पी पीकर कोसा जाता है... सेना, पुलिस, सुरक्षाबलों को गालियां बकी जाती हैं.. आतंक का समर्थन करने वालों पर पुलिस द्वारा प्रतिक्रिया में दागे गये छर्रों की पिक्स अपलोड कर सारे मुस्लिम्स एक साथ मोहर्रम मनातें है... 


ऐसा माहौल बनाया जाता है जिससे लगे की घर में शांति से बैठकर टीवी देख रहे मुस्लिमों को घर से बाहर खींच खींच कर गोलियां मारीं जा रही हों.....उनके द्वारा की जा रही हिंसा, उपद्रव, गजनी,तोड़फोड़ किसी मुस्लिम को नहीं दिखती... पर जवाबी कार्यवाही करने पर इस्लामिक मानवता तार तार हो जाती है....



दूसरी घटना फ़्रांस के नीस शहर में घटित हुई... रात 10:30 बजे राष्ट्रीय दिवस सेलिब्रेट कर रहे नागरिकों को एक भटका हुआ शांतिप्रिय नौजवान शांतिप्रिय ट्रक से दो किलोमीटर तक कुचलता चला जाता है.. सैंकड़ो जाने जाती है.. उससे ज्यादा घायल होतें है... जिसमे एक बड़ी संख्या बच्चों की होती हैं...

  

सनद रहे इस्लाम का शिकार हुये वो नागरिक ना किसी आजादी की मांग कर रहे थे, ना उपद्रव तोड़फोड़ आगजनी कर रहे थे... वो सिर्फ जश्न मना रहे थे... नाच गाकर खुशियाँ बाँट रहे थे... उन्होंने किसी का कुछ बुरा नहीं किया था... उसमे एक बच्ची भी थी... जिसका चेहरा नहीं सामने आया...जो सड़क पर लेटी थी... 


बगल में उसकी गुड़िया मरी पड़ी थी.. बिल्कुल बेजान... 


उसकी सिर्फ यही गलती थी की वो काफिर थी....

किसी भी मुस्लिम ने विरोध में एक शब्द नहीं कहा, किसी मुस्लिम का कलेजा पानी ना हुआ...क्योंकि मरने वाले मुस्लिम नही काफिर थे... वो बच्ची भी काफिर थी...उसकी गुड़िया भी...और हर बार की तरह नारा फिर से बुलन्द है...आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता......

काबे किस मुंह से जाओगे गालिब, शर्म तुमको आती... 

कोई उम्मीद बर नहीं आती...
घनश्याम अग्रवाल