
Suraj Srivastava बलूचिस्तान का सच ! जिन्ना की तानाशाही ने बलूचिस्तान को हड़प लिया !
बलूचिस्तान का सच – आजाद भारत में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दशकों से पाकिस्तान द्वारा कब्जाए बलूचिस्तान पर चर्चा छेड़कर इसे अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है. इसके बाद से बलूचिस्तान में हिन्दुस्तान जिंदाबाद के नारे लगने लगे हैं.
बलूचिस्तान का सच, जो इतिहास में लिखा है
14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान के आजाद होने के बाद मुहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान में हजारों हिन्दुओं की हत्या करवाई, हजारों को जबरन मुसलमान बनावाया और हजारों हिन्दू बहनों एवं माताओं का बलात्कार करवाया. लेकिन जब इससे भी उसकी भूख नहीं मिटी तो उसने अपनी सीमा से सटे स्वतंत्र बलूचिस्तान राष्ट्र पर कब्जा करने के मासूम लोगों और राजा को मौत के घाट उतार दिया.
पाकिस्तान बनने के कुछ दिन बाद ही बलूच अलगाववादियों और पाक सरकार के बीच विवाद शुरू हो गया था और आजादी की घोषणा करने वाले बलूचिस्तान को पाक सरकार के बढ़ते दबाब के चलते उनसे 1948 में हाथ मिलाना पड़ा. अप्रैल 1948 में पाक सेना ने मीर अहमद यार खान से उनका राज्य ही छीन लिया. बलूचिस्तान एक स्वतंत्र देश था किन्तु पाकिस्तान की नजर यहाँ थी. यहाँ पर बड़ी संख्या में हिन्दू लोग भी रह रहे थे.
मीर के भाई प्रिंस अब्दुल करीम खान को बलूचिस्तान का 23 प्रतिशत क्षेत्र पाकिस्तान को देना सही नहीं लगा और मई 1948 में अब्दुल करीब खान ने जिन्ना सरकार के खिलाफ एक युद्ध छेड़ दिया था. जिन्ना सरकार ने नवरोज खान को उनके सहयोगियों के साथ गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया और नवरोज खान के बेटों और भतीजों को फांसी दे दी. वहीं दूसरी ओर नवरोज खान की भी जेल में रहने के दौरान मौत हो गई थी.
बलूचिस्तान की आजादी को छीन लिया गया –
इस बीच 1948 में मुहम्मद जिन्ना ने बलूचिस्तान को पाकिस्तान का चौथा राज्य घोषित करते हुये उसे मान्यता प्रदान कर दी. लेकिन इसके बाद भी बलूचिस्तानी आंदोलनकारियों ने आजादी की जंग जारी रखी. जिसके बाद बलूचिस्तानी आंदोलनकारियों के ऊपर दमनात्मक कार्रवाई की गई और सात से आठ हजार बलूचिस्तानियों को अपनी जान गंवानी पड़ी. आज भी यहाँ के लोग आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं और उसमें वह भारत से मदद चाहते हैं.
जिन्ना की तानाशाही –
जिन्ना की तानाशाही के चलते अब भी बलूचिस्तान का अधिकांश इलाका पाकिस्तान के कब्जे में है, जो पाक के कुल क्षेत्रफल का लगभग 44 प्रतिशत हिस्सा है. यह सबसे गरीब इलाका माना जाता है. यहां अधिकांश बलूच आबादी रहती है. बलूचिस्तान को प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर माना जाता है. ज्ञात हो कि बलूचिस्तान की सीमाएं अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान से छूती हैं, जिसके चलते इसके दक्षिण-पूर्वी हिस्से पर ईरान, दक्षिण-पश्चिमी हिस्से पर अफगानिस्तान और सबसे बड़े हिस्सा पश्चिमी भाग पर पाकिस्तान कब्जा है.
असल में बलूच के लोग हिन्दुस्तानी है
बलूचिस्तान में स्थित बालाकोट नालाकोट से लगभग 90 किमी की दूरी पर हड़प्पा पूर्व एवं हड़प्पा कालीन अवशेष प्राप्त हुए हैं, बलूचिस्तान आर्यों की प्राचीन धरती आर्यावर्त का भी एक हिस्सा है, जिन्हें पाक अपना हिस्सा बताता है. यहाँ के लोगों के रीति-रिवाज भारत के हिन्दुओं से मिलते हैं. यहाँ की सभ्यता भी भारतीय पुरातन सभ्यता बताई जाती है. आजादी के समय भी यहाँ हिन्दुओं और सिखों की संख्या काफी अच्छी थी किन्तु हिन्दुओं का कत्लेआम हुआ और हिन्दू औरतों का बलात्कार किया गया. हिन्दू औरतों से पंजाबी मुस्लिम लोगों ने शादियाँ की हैं और आज बलूचिस्तान में पंजाबी मुस्लिम लोगों की संख्या भी अच्छी-खासी हो गयी है.
जिन्ना की तानाशाही के खिलाफ तब नेहरु ने कोई आवाज नहीं उठाई थी और जिन्ना ने बलूचिस्तान में मानवता को तार-तार कर दिया था. वैसे यह बात तो सच है कि जहाँ हिन्दू मरता है वहां कोई मानव अधिकार का हनन नहीं होता है लेकिन कोई और मर जाये तो लोग छाती पीट-पीट कर रोते हैं.!!
Pictures of PM Modi with Baloch martyr ; freedom fighter Akbar Bugti seen in protests across Balochistan, Pakistan.

