बाबा रामदेव ने भारत की मरती हुई योग विरासत को जन जन के बीच पहुंचाकर उसमे जान फूंक दी..

रामदेव एक योगी या व्यापारी?...................Lokesh Vijayvergiya

अक्सर लोग बाबा रामदेव का मजाक उड़ाते रहतें हैं, ये कहकर उनका विरोध करतें हैं कि बाबा तो व्यापारी है...भला एक योगी का व्यापार से क्या सम्बन्ध? ये है लोगों की मेंटेलिटी जिन्हें व्यापार करना एक गुनाह लगता है...या फिर कहें एक योगी द्वारा व्यापार करना...तमाम हिंदुत्ववादी और हिंदुत्वविरोधी बाबा का मजाक उड़ाते फिरतें हैं...हिंदुत्व विरोधियों का तो समझ आता है पर क्या सभी हिंदुत्ववादी अक्ल से लूमड़ ही हैं क्या?

क्या होती है एक योगी की परिभाषा? कोई योगी भारत का नागरिक नहीं होता जो उसे व्यापार करने का अधिकार नहीं? या फिर एक योगी का यही कर्तव्य है भगवा लंगोटा बांधकर जंगलों में फिरता घूमे? क्या वाकई कोई इंसान योगी कहलाने लायक है जिसका समाज में कोई योगदान ना हो? भीख मांगकर धरती पर बोझ बनने वाले क्या योगी होतें हैं?  बाबा रामदेव ने भारत की मरती हुई योग विरासत को जन जन के बीच पहुंचाकर उसमे जान फूंक दी.... विश्व में दावा किया कि योग विश्व को दी गयी भारत की विरासत है...लोगों को योग सिखाया...अच्छी जीवनशैली अपनाने का संदेश दिया...फिर बिजनेस किया जिससे कुछ लोगो के पेट में बहुत मरोड़ होती है...


1995 में बाबा रामदेव में पतंजलि योगपीठ की स्थापना की फिर सन् 2003 में आस्था टीवी ने लोगों को बाबा का योग कार्यक्रम दिखाना शुरू किया...फिर योग की वो क्रान्ति आई जो घर घर पहुँच गयी...बाबा ने रोगों के इलाज के लिये लोगों को योग और आयुर्वेद अपनाने का संदेश दिया...बाबा ने बताया कि फलाँ फलाँ पेड़, पौधे, पत्ते जड़ी बूटी से फलाँ रोग का इलाज होता है...अब मुसीबत ये की दिल्ली में 2,3,4 Bhk में रहने वाला आदमी कहाँ ये खोजता फिरे?

बाबा ने इन औषधीय पौधों और जड़ी बूटियों को उगाकर बेचना शुरू किया...बड़े शहरों से लेकर गाँव, गिरांव, गली, नुक्कड़ में पतंजलि स्टोर खुलवा दिये... वो आयुर्वेदिक औषधियां जो दूसरी कंपनियां दस गुना ज्यादा दामों पर बेचतीं हैं उन्हें दस गुना काम दाम पर उपलब्ध कराई....फिर आगे बढ़ते हुये घरेलू इस्तेमाल की छोटी से बड़ी चीज...बुरुस, आटा, मंजन, तेल, साबुन सब बेचना शुरू किया...तो इसमें दिक्कत क्या है?


कौन सा गुनाह किया? चोरी डकैती, लूट, भ्रस्टाचार किया क्या?नही....बिजेनस किया...हजारों लाखों को रोजगार दिया... अब बाबा वैदिक बोर्ड खोल रहें हैं जिसमे आधुनिक शिक्षा के साथ वैदिक शिक्षा भी दी जायेगी.... क्या ये गलत है?हिंदुत्व में इससे बड़ा योगदान और कुछ हो सकता है?एक आदमी जिसने योग को जिंदा किया, आयुर्वेद को जिंदा किया...विश्व में इसका प्रचार प्रसार किया उससे बड़ा हिंदुत्ववादी कोई हो सकता है क्या?बाबा को कोसने वाले ,उन पर जोक्स बनाने वाले क्या बता सकतें हैं उनका देश ,धर्म और समाज में कितना योगदान है?खुद कुछ कर नहीं सकते जो कर रहा है उसका मजाक उड़ाओगे?



हिंदुत्व विरोधियों और भाजपा को हिंदुओं की पार्टी समझकर उसका विरोध करने वालों का तो समझ आता है...वो तो हर उस चीज का विरोध करेंगे जिससे हिंदुत्व की बू आती हो...उन्हें तो हरी महक ही पसन्द है...भले बाबा ने आज तक एक भी साम्प्रदायिक बात ना की हो...भले उनके योग शिविरों में हिन्दू मुसलमान सहित सभी धर्मों के लोग बैठकर एक साथ योग करतें हों...लेकिन वो बाबा का विरोध करेंगे क्योंकि बाबा तो मोदी समर्थक है...और मोदी समर्थक होने से इंसान का हर कार्य, समाज में हर योगदान गलत और नगण्य या नौटँकी हो जाता है....

ये प्रगतिशील समाज और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोगों की सोच है....जिससे तमाम बड़े हिंदुत्ववादी भी जकड़तें चले जा रहें हैं....हिंदू कौम इसीलिये हमेशा गुलाम रही, इसीलिये गर्त में जाती रही....जा रही क्योंकि वो अपने नायक को पहचान नहीं पाते....उनका मजाक उड़ाते हैं...अस्वीकार कर देंते हैं.....फिर सारा दोष अंग्रेजों और वामपंथियों पर मढ़तें हैं....अरे अंग्रेजो,वामपंथियों ने जो किया लेकिन तुमने क्या किया?तुम कहाँ थे?तुम उस समय भी यही कर रहे थे....अपने नायकों का बिना वजह विरोध कर उसे कमजोर और हतोत्साहित कर रहे थे....आपस में ही लड़ झगड़ रहे थे...केकड़े हो सब...जो आगे बढ़कर निकलने की ,कुछ करने की कोशिश करता है...सब मिलकर उसकी टांग पकड़के खींचते हो....तुम केकड़े ही हो और दूसरों को भी केकड़ा बना रहना देखना चाहते हो...


बंद करो ये भ्रम फैलाना की वामपंथियों ने तुम्हारा इतिहास बिगाड़ा है....अपना भूत, वर्तमान सब हमने खुद बिगाड़ा है....अपनी दुर्गति के लिये, गुलामी के लिये हम खुद जिम्मेदार हो...कोई वामी झामी नहीं....बंद करो अपनी गलतियों, नाकामियों पर पर्दा डाल दूसरों पर आरोप मढ़ना....अपराधी हम खुद हो...।