क्या हिंदुओं की सहनशीलता की भावना ने उनको धर्म के प्रति नपुंसक बना दिया है !




श्री कृष्ण को लेकर जो ओछी बात और हिन्दू धर्मालंबियों की आस्था पर जानबूझ कर प्रहार करने के लिए जो टिप्पणियां, प्रशांत भूषण ने की है, वह यदि मुहम्मद पर की होती तो अब तक उनका या तो गला काट दिया गया होता या उनकी मौत के लिए फतवा निकल गया होता। 

लेकिन प्रशांत भूषण भाग्यशाली है कि वह जिन्दा है और अभी रहेगा क्योंकि, हम हिंदुओं में अभी सहनशीलता लगभग नपुंसक बन कर हमारी धमनियों में दौड़ रही है।सृष्टिकलंक युगप्रदूषण प्रशांत भूषण तू क्या समझेगा श्रीकृष्ण जी कि महिमा! तेरे कान मैं तो पिघला हुया रांगा उड़ेलने या जीभ काटने की सजा का ही प्रावधान है। लेकिन हम लाचार और नकारा हैं सो ये सजा तुझे ना दे पाएंगे। जा जी ले अपनी गलीज जिंदगी ! ......Rinku Garg




मन की शांति प्राप्त करें ...
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥८॥

DrVishwas Kumar Chouhan