सच में ये अडानी अम्बानी की सरकार तो गरीबों के लिए कुछ सोच ही नहीं रही !!



हमारा एक ड्राइवर था रामनाथ ...लगभग 7-8 साल उसने हमारी गाड़ी चलायी ...ईमानदार और मेहनती,. परिवार में बीवी , एक छह साल की बेटी और एक चार साल का बेटा.... एक दिन पता चला उसकी पत्नी की किसी बीमारी से मौत हो गयी बीमारी का इलाज करवाते करवाते उसकी हालत भी फटेहाल हो गयी थी ....

रामनाथ बिचारा गाड़ी चलाता क्योंकि उसके बिना घर नहीं चलता ....फिर एक हाथ में फोन लेकर अपनी बेटी को सारे काम समझाता .....छोटे भाई को कैसे नहलाना है ....तैयार करना है ...स्कूल भेजना है सिखाता ...कई बार ऐसा हुआ की मैं बगल बैठा होता तो आँखें गीली हो जाती !! अभी कुछ साल पहले उसने किसी की टेक्सी चलाना शुरू किया था ....फिर एक दिन खबर आई की रामनाथ की भी किसी एक्सीडेंट में मौत हो गयी ... मैंने जैसे ही ये खबर सुनी मुझे उन दोनों बच्चों के चेहरे याद आये ....आजकल वे बच्चे अपनी दादी के साथ गाँव पर हैं !!


कभी सोचिये ऐसे लोगों की सामाजिक सुरक्षा कौन करेगा ?... उनका भविष्य कौन सुरक्षित करेगा ? ...रामनाथ को मरे हुए तीन चार साल हो गए ....थर्ड पार्टी इनश्योरेन्स का केस अभी तक चल रहा है...और फूटी कौड़ी उसके परिवार को नहीं मिली 

इसी तरह कितने बुज़ुर्ग हैं जिनके बच्चे उनके आखिरी सालों में उन्हें घर से निकाल देते हैं.... उनकी सामाजिक सुरक्षा कौन करेगा ? 

अगर मोदी जी की 12 रूपए वार्षिक प्रीमियम पर 2 लाख की एक्सीडेंट इंश्योरेंस जैसी स्कीम तब होती तो आज शायद उसके बच्चे गाँव ना जाकर अच्छे स्कूल में पढ़ रहे होते .....अगर 330 रूपए वार्षिक प्रीमियम पर 2 लाख की जीवन बीमा वाली स्कीम होती.... तो उसकी पत्नी के इलाज के बाद उसकी आर्थिक हालत ख़राब नहीं हुई होती ..... 

रामनाथ एक असंगठित क्षेत्र का मजदूर था ....अगर ये सारी बीमा योजना भी वो न लेता और 215 रूपए महीना अटल पेंशन योजना में डालता रहता तो उसके परिवार को आज 5000 रूपए महीने की पेंशन मिल रही होती !!  सच में ये अडानी अम्बानी की सरकार तो गरीबों के लिए कुछ सोच ही नहीं रही !!

सोजन्य से "गौरव शर्मा"