Tanmay Modh : अमिताभ ठाकुर को दी गई धमकी पर अखिलेश बोले, नेताजी ऐसे ही समझाते हैं !आईपीएस अमिताभ ठाकुर को धमकाने के आरोप में घिरे समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के बचाव में अब उनके बेटे और प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उतर आए हैं। मुलायम की अमिताभ ठाकुर को दी गई कथित धमकी पर अखिलेश ने कहा कि नेताजी ऐसे ही समझाते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आईपीएस अमिताभ ठाकुर को नेताजी कुछ चीजें समझाने की कोशिश कर रहे थे। नेताजी ने आईपीएस ऑफिसर को केवल सलाह दी थी। जिसे गलत समझ लिया गया। ऐसे तो नेताजी मुझे भी अक्सर सलाह देते रहते हैं।इससे पहले अमिताभ ठाकुर आज मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग को लेकर दिल्ली रवाना हो गए। अमिताभ ने बताया कि मैं दिल्ली जा रहा हूं। पूरे मामले की जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को दूंगा और यदि मौका मिला तो केंद्रीय गृह मंत्री से भी मुलाकात करूंगा।
पत्रकार के नाम पर अपनी अस्मिता बेच चुके लोगों को समर्पित है शिवानी का ये लेख। मैं अनिल उपाध्याय हूँ जिसने अमिताभ ठाकुर और आई ए एस सूर्य देव सिहँ का वीडियो जारी किया था पत्रकारों के धरने पर। बहुत से मेरे पुराने साथी वहाँ थे और हम लोग उस ज़माने के हैं नेता जी जब ताज़ा ताज़ा पेजर आया था। सबूत तब नहीं बनाये जाते थे न स्ट्रिंग होते थे तब। कभी आप भी साधारण स्कूटर से चलते थे। ये मामला दिमाग़ से नहीं दिल से समझिये। - अनुसार
पत्रकार के नाम पर अपनी अस्मिता बेच चुके लोगों को समर्पित है शिवानी का ये लेख। मैं अनिल उपाध्याय हूँ जिसने अमिताभ ठाकुर और आई ए एस सूर्य देव सिहँ का वीडियो जारी किया था पत्रकारों के धरने पर। बहुत से मेरे पुराने साथी वहाँ थे और हम लोग उस ज़माने के हैं नेता जी जब ताज़ा ताज़ा पेजर आया था। सबूत तब नहीं बनाये जाते थे न स्ट्रिंग होते थे तब। कभी आप भी साधारण स्कूटर से चलते थे। ये मामला दिमाग़ से नहीं दिल से समझिये। - अनुसार
शिवानी कुलश्रेष्ठ : सोचा था कुछ दिन आई डी डीएक्टीवेट रखूगीँ पर मुलायम ताऊ और अमिताभ ठाकुर मोबाइल प्रकरण के कारण लिखने को मजबूर हो गयी। मैँ इस प्रकरण पर दोनो लोगो को धन्यवाद देना चाहती हूँ क्योकि इस प्रकरण पर छिपे धूर्त और दुष्ट पिल्ले मुझे नजर आ गये जो माइक्रोस्कोप से पकड़ मेँ नही आ रहे थे। अगर आपको लगता है कि मेरे अंदर थोड़ी सी भी सच्चाई है तो ऐसे दुष्टोँ को अनफ्रेन्ड और ब्लॉक कर दे जो किसी निद्रोष आदमी को फसाने मेँ मुलायम ताऊ जी को उकसाने द्वारा दुष्प्रेरित कर रहे है। ये दुष्प्रेरक की श्रेणी मेँ आते है। अमिताभ ठाकुर कैसे आदमी है, इसका निर्णय लेने वाले हम कौन होते है? मनुष्य के कर्म बोलते है? एक व्यक्ति फोन करता है और किसी संदिग्ध बात के करने या लोप के लिये धमकाता है और धूर्त लोग उसे जस्टिफाई कर रहे है। सबसे ज्यादा मक्कार वो पत्रकार है जो अपना काम छोड़कर कुतर्क करके चमचागिरी कर रहे है। जिस औरत ने बलात्कार का केस लगाया है, मैँ उसे औरत नही मानती। नारी त्याग की देवी होती है। जिसको अपनी अस्मिता अपनी जान से ज्यादा प्यारी होती है। जो औरत अपने साथ झूठ लैगिँक संभोग जो यौन शोषण की श्रेणी मेँ आता है, की एफ.आई.आर लिखा रही है। क्या उस महिला को भगवान का तनिक भी डर नही है? मै भगवान से बहुत डरती हूँ। इंसान से मुझे बिलकुल डर नही लगता। भगवान के कारण मैँ किसी गलत का साथ नही दे सकती। वैसे ये यौन शोषण कब हुआ ? कैसे हुआ? कितने बजे हुआ? अगर किसी के पास इसकी विशिष्टियाँ हो तो अवगत कराये। और हाँ एक बात और कि मैँ फिरोजाबाद की मूल निवासी हूँ। जिस वक्त अमिताभ ठाकुर प्रकरण हुआ था तब मैँ चौदह वर्ष की थी। दसवीँ कक्षा मेँ पढती थी। इनका बाद मेँ वहाँ से तबादला हो गया था। जनता से तबादले का बहुत विरोध किया था। पर जब ये वहाँ एस.पी थे तो सारा क्राइम छूमंतर हो गया था। इनके शेर जैसी दहाड़ और कार्य करने की प्रणाली, लाइफ स्टाइल ने मुझे फैन बना दिया। तब मैने ठहाना कि मैँ भी अमिताभ ठाकुर की तरह आई.पी.एस बनूगीँ। पर लॉ करने पर पता चला कि आई.पी.एस केवल पपेट होते है। आज ये साबित भी हो गया।
नोट- इन धूर्त लोगो की श्रेणी मेँ मै सपा के नेता या कार्यकर्ताओ को नही रखती क्योकि वो सपा या ताऊ जी को फेवर करके अपना फर्ज पूरा कर रहे है। ये धूर्त शब्द उन पत्रकारोँ के लिये जो निष्पक्ष नही है।
Anil Kumar Upadhyaya : लोकसेवक ने अदालत से सड़क तक लोकसेवा शुरू रखी - हड़कंप तो अब आपने शुरू कराया नेता जी। जनहित याचिकाओं का मतलब जन हित। .. राजनीति किसलिये होती है जनहित या परिवार व जातिवाद हित ? लोकसेवक ने तो केवल लोकसेवा की। ... .. आपकी तारीफ़ तो संसद में अटल जी कर चुके हैं नेता जी। ... ... मेरे देश के एक्स रक्षा मंत्री माननीय नेता जी , आपसे ये गलती हुई या कराई गई ? यक्ष प्रश्न जिसका जवाब आपके अतिरिक्त कोई नहीं दे सकता। वैसे आप तो मानते होगे कि कोई ग़लत काम हुआ ही नहीं।
Rashtrawadi Kshatriya with Amitabh Thakur लड़ाई लड़ते रहे हैं और अपने पास आने वाले हर इंसान की मदद करते हैं । आज जब उनकी आन और जान हमारी वजह से खतरे मैं है तो क्या हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे । ये अमिताभ ठाकुर वहीं हैं जिनहोने इलाहाबाद के उस क्षत्रिय दारोगा के पक्ष मैं मुहिम चलायी थी जिसने अपनि जान और सम्मान के खातिर कचहरी मैं एक मुस्लिम वकील को गोली मार दी थी ।आज इनके स्वयं की आन और जान खतरे मैं हैं क्योकि खुद सपा मुखिया मुलायम सिंह इन्हे धमका रहे हैं।
नोट- इन धूर्त लोगो की श्रेणी मेँ मै सपा के नेता या कार्यकर्ताओ को नही रखती क्योकि वो सपा या ताऊ जी को फेवर करके अपना फर्ज पूरा कर रहे है। ये धूर्त शब्द उन पत्रकारोँ के लिये जो निष्पक्ष नही है।
Anil Kumar Upadhyaya : लोकसेवक ने अदालत से सड़क तक लोकसेवा शुरू रखी - हड़कंप तो अब आपने शुरू कराया नेता जी। जनहित याचिकाओं का मतलब जन हित। .. राजनीति किसलिये होती है जनहित या परिवार व जातिवाद हित ? लोकसेवक ने तो केवल लोकसेवा की। ... .. आपकी तारीफ़ तो संसद में अटल जी कर चुके हैं नेता जी। ... ... मेरे देश के एक्स रक्षा मंत्री माननीय नेता जी , आपसे ये गलती हुई या कराई गई ? यक्ष प्रश्न जिसका जवाब आपके अतिरिक्त कोई नहीं दे सकता। वैसे आप तो मानते होगे कि कोई ग़लत काम हुआ ही नहीं।
Rashtrawadi Kshatriya with Amitabh Thakur लड़ाई लड़ते रहे हैं और अपने पास आने वाले हर इंसान की मदद करते हैं । आज जब उनकी आन और जान हमारी वजह से खतरे मैं है तो क्या हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे । ये अमिताभ ठाकुर वहीं हैं जिनहोने इलाहाबाद के उस क्षत्रिय दारोगा के पक्ष मैं मुहिम चलायी थी जिसने अपनि जान और सम्मान के खातिर कचहरी मैं एक मुस्लिम वकील को गोली मार दी थी ।आज इनके स्वयं की आन और जान खतरे मैं हैं क्योकि खुद सपा मुखिया मुलायम सिंह इन्हे धमका रहे हैं।

मुमुकेंद्रीय सेवाओं के अधिकारियों के सम्मान और उनकी हिफाज़त का जिम्मा केंद्र का होता है ---
यूपी के IPS अधिकारी अमिताभ ठाकुर के सन्दर्भ में यह सिद्धांत कसौटी पर है।
अमिताभ ठाकुर द्वारा जारी टेप अगर सत्य है तो उसकी भाषा आपत्तिजनक है ----
विशेषकर जसराना प्रसंग। यह भाषा जनप्रतिनिधियों द्वारा अधिकारियों को दी जाने बाली सामान्य हिदायतों
की भाषा से अलग है। सत्ता का एक अपना चरित्र होता है , उसे असहमतियां अस्वीकार्य होती जा रही हैं।
मुझे १९९३ याद आ रहा है ---- एक नेता ने , सत्ता के शिखर पर बैठे सजातीय नेता के खिलाफ चुनाव लड़ने
का निर्णय किया तो एकाएक उन पर 17 मुक़दमे लग गए ---- मामला हाईकोर्ट पंहुचा।
अदालत ने एक झटके में सारे मुक़दमे खारिज कर दिए और साथ में हाई सिक्युरिटी भी देने का आदेश दे डाला।
.................By - Amitabh Agnihotri
