प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार भी राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बुधवार को आयोजित इफ्तार पार्टी में नहीं शामिल होंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि बुधवार को शाम सात बजे पूर्वोत्तर के राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक होनी है।
इस बैठक में महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं पर चर्चा होगी। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे। इससे पहले उन्हें अपने आधिकारिक आवास पर नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता करनी है।
संसद के मानसून सत्र के ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीति आयोग के जरिए मुख्यमंत्रियों की बैठक बुला कर भूमि बिल पर राज्यों का समर्थन लेना चाहते हैं।
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। भूमि अधिग्रहण बिल पर बुधवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों की होने वाली बैठक से ठीक पहले हुई इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। इस बैठक से कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री दूर रह सकते हैं।

Nageshwar Singh Baghel : पीएम नरेंद्र मोदी जी एक बार फिर आज शाम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा आयोजित इफ्तार दावत में शरीक होने से इंकार किया । इफ्तार पार्टी की दावत से ज्यादा जरुरी है कार्य इसी भावना को ध्यान रखते हुए मोदी जी उत्तर-पूर्वी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, जिसमें सिक्किम भी शामिल है, की एक बैठक की अध्यक्षता करेंगे । एक बार फिर से मोदी जी ने सेकुलरों को ''देगी मिर्च'' का तड़का लगा दिया ! दलाल मीडिया सुरु हो जाओ !
The Prime Minister, Shri Narendra Modi chairing the 2nd meeting of the Governing Council of NITI Aayog, in New Delhi on July 15, 2015.Courtesy:Photo Division, pib.nic.in

Ministry of Information & Broadcasting · : The Minister of Foreign Affairs of Myanmar, Mr. U Wunna Maung Lwin calls on the Prime Minister, Shri Narendra Modi , in New Delhi on July 15, 2015.
Anil Kumar Upadhyaya : हे नेताओं , सारे नये छुटभैये नेताओं को ये दिव्य ज्ञान खूब मिल गया - " राजनीति की रफतार - रोज़ा इफ़्तार " ... पर अनिल उपाध्याय का विनम्र निवेदन है कि अबकी जन्माष्टमी - रक्षाबंधन सबको राजनीति से लबालब कर दो। खुला ऐलान कि तमाम रोज़ा इफ़्तार से नेतागिरी को रफ़्तार देने वाले सभी पार्टियों के हिन्दू नेता अगर अपने सच्चे उत्सवों को रोज़ा इफ़्तार से भी ज़्यादा मान और अपनी तरफ से कोई बडा काम करके नहीं देगें तो सब लोग उनकी बुराई सोशल मीडिया पर जम कर करें।

इस देश का मीडिया अपने प्रधानमंत्री से ये पूछ रहा है कि वो 7 अत्यंत महत्वपूर्ण राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ अपनी बैठक निरस्त कर राष्ट्रपति द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में क्यों नहीं जा रहा ?इस देश का मीडिया ये बिलकुल नहीं पूछ रहा कि देश के कुछ बड़े राज्य जो गैर भा.ज.पा. शासित है (उदाहरण के लिए पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) ये नीति आयोग द्वारा बुलाई गयी मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में भाग क्यों नहीं ले रहे ?देश को अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित कर लेनी चाहिए | उसे इफ्तार पार्टी चाहिए या चहुमुखी विकास |

इस देश का मीडिया अपने प्रधानमंत्री से ये पूछ रहा है कि वो 7 अत्यंत महत्वपूर्ण राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ अपनी बैठक निरस्त कर राष्ट्रपति द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में क्यों नहीं जा रहा ?इस देश का मीडिया ये बिलकुल नहीं पूछ रहा कि देश के कुछ बड़े राज्य जो गैर भा.ज.पा. शासित है (उदाहरण के लिए पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) ये नीति आयोग द्वारा बुलाई गयी मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में भाग क्यों नहीं ले रहे ?देश को अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित कर लेनी चाहिए | उसे इफ्तार पार्टी चाहिए या चहुमुखी विकास |
सोनिया की दावत में पुराने गायब नए दोस्तों ने बढ़ाई रौनक : वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की इफ्तार पार्टी से कांग्रेस के कुछ पुराने दोस्त गायब रहे तो नए दोस्त दावत की रौनक बन गए। कांग्रेस के पुराने दोस्त समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और वामदलों की ओर से कोई नेता कांग्रेस अध्यक्ष की इफ्तार में नहीं आए। दूसरी तरफ कांग्रेस के नए दोस्त बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने अपनी पार्टी के अध्यक्ष शरद यादव के साथ पेश होकर कांग्रेस की दावत की रौनक बढ़ा दी।



वहीं तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने अपनी पार्टी में आकर सबको हैरान कर दिया। सोनिया की पार्टी में द्रमुक सुप्रीमो करूणानिधि की बेटी कनिमोझी, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, लालू यादव की पार्टी राजद से प्रेमचंद गुप्ता और जयप्रकाश यादव शामिल हुए। सोनिया की पार्टी में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित समेत कई देशों के राजदूत भी मौजूद रहे। विपक्ष की ज्यादातर पार्टियों के नुमाइंदों ने अपनी मौजूदगी जताकर कांग्रेस को मोदी सरकार के खिलाफ संसद के मानसून सत्र से ठीक से पहले चुनौती लेने की हिम्मत को बढ़ाने का काम किया है।.......................BIG TIMES