इसे भारतीय राजनीती की बिडंबना ही कहेंगे कि जहाँ जम्मू-कश्मीर जैसे मुस्लिम बाहुल्य राज्य को 80 हजार करोड़ का ऐतिहासिक पैकेज देने वाला "मुस्लिम बिरोधी" बताया जाता है, बिहार को 1.65 लाख करोड़ के विशेष पैकेज देने वाले नरेंद्र मोदी जी को बिहार चुनाव में "बाहरी" करार दिया जाता है।
भ्रस्टाचार से त्रस्त हिंदुस्तान को मात्र डेढ़ सालों में जिसने "Corruption Perception Index" में चीन से बेहतर स्थिति में खड़ा कर दिया। वैश्विक मंदी के दौर में भी भारत "आर्थिक विकास दर " में चीन को पछाड़ दिया है। जिस आदमी की सरकार पर इन डेढ़ सालों में "घोटाला" का एक आरोप नहीं है, ताज्जुब होता है की उसके कपड़ों पर भारत में टिप्पणी की जाती है।
मोदी साहब के दबँग व्यक्तित्व का ही जलवा है, जहाँ पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री को "World Economic Forum" के 125 देशों के सर्वे में विश्व के 10 शक्तिशाली व्यक्ति के रूप में चुना जाता है। पुतिन और ओबामा सरीखे नेताओं की प्रभवशाली कतार में "Times Magezine" जिसे शामिल करती है, कौतुहल है की उसे लोग "कमजोर PM" कहते हैं।
बिना किसी पूर्व अनुभव के अकेले दम पर जिसने अन्तराष्ट्रीय राजनीती में भारत का कद बढ़ाया, हिन्दी, गीता और हिंदुस्तान का मान बढ़ाया। अपनी कूटनीतिक कुशलता से शक्तिशाली चीन को बियतनाम-जापान-भारत के ट्रैंगल-ट्रैप में फँसा दक्षिण चीन सागर में उलझा दिया। यमन से हजारों भारतियों के सकुशल वापसी का मामला हो या दुबई में दाऊद इब्राहिम की चल-अचल संपत्ति को जब्त करवाने का मामला हो या कल के ब्रिटेन दौरे में वहाँ भी दाऊद की संपत्ति जब्त करवाने का प्लान बनाना या हजारों करोड़ का Foreign Investment लाना या फिर UN की "स्थायी सदस्यता" में प्रबल दावेदारी का Achievement ---पर आश्चर्य की बात की, हिंदुस्तान में उस आदमी के विदेशी दौरे पर ऊँगली उठाई जाती है।


जिस आदमी ने आम जनता की छोटी-छोटी परेशानी, माताओं-बहनों की समस्या पर काम करना चाहा, जिसने गरीबों को बैंक अकाउंट और इनश्योरेन्स का तोहफा देकर Moral Boostup किया, वहीँ Selfie With Daughter जैसी बात कर बेटियों का मान बढ़ाया। जो स्कूल में लेडीज टॉयलेट बनवाने का सपना साकार किया, जिसने वाराणसी के एक गाँव को मॉडल गाँव बनाकर नेताओं के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया उसे हिंदुस्तान में "सिर्फ मन की बात" करने वाला कहा जाता है।
दशकों से पेंडिग OROP और "नेताजी की गुप्त फाइल" सहित कई मामलों में मोदी साहब को नाकाम दिखाने की कोशिश की गयी पर देर-सबेर उन्होंने जनता की आंक्षाओं पर खड़े उतरे वैसे ही महंगाई- बेरोजगारी - बिजली जैसी समस्याएं भी वे जरूर हल करेंगे। जनता ने 65 साल सह लिए तो डेढ़ साल में आतुर नहीं हुई है, बस मोदी साहब के राजनितिक दुश्मन बेचैन पड़े हैं।
मेहनती इतना कि खुद भी 18 घण्टे काम करते हैं, अकेले दम पर "2014 लोकसभा" सहित महाराष्ट्र, कश्मीर, हरियाणा और झारखण्ड में चुनाव प्रचार कर सफलता के झंडे गाड़े। मोदी साहब का ही जलवा है की दक्षिण भारत जहाँ BJP का कोई नामलेवा नहीं था वहाँ आज "निगम चुनाव" में 40% सीट जीत रही है, और एक बिहार चुनाव हार जाने से भाजपा के कोई फर्क नहीं पड़ता l हाँ बिहारी जनता को फर्क पड़ेगा शायद ...क्योंकि इन्हें विकास नहीं जातीवाद पसंद हैं... भगवान् भला करे इस देश का।(कॉपी)


