क्यो देश राष्ट्रवादियों के साथ नहीं चल पाता है।ऐसा क्यो कि गोमाता की रक्षा असहिष्णुता करार दी जाती है।

 



बड़े दुर्भाग्य की बात है कि यह देश राष्ट्रवादियों के साथ नहीं चल पाता है। अगर देश ने पृथ्वीराज चौहान का साथ दिया होता तो मुहम्मद गोरी भारत में नहीं घुस पाता और भारतवर्ष मुसलमानों का गुलाम नहीं बनता। अगर देश ने हेमू का साथ दिया होता तो बाबर नहीं आता और देश को मुगलों का अत्याचार नहीं सहना पड़ता। यदि महाराणा प्रताप और वीर शिवाजी का भी साथ दिया होता तो मुगलवंश का खात्मा हो चुका होता और आज गोमाता की हत्या करने वाले ताल ठोंकते नजर नहीं आते।
यदि देश ने पटेल का साथ दिया होता तो नेहरू की दाल नहीं गलती और देश को विभाजन का दंश नहीं झेलना पड़ता। यदि देश ने नरसिंहाराव या अटलजी का साथ दिया होता तो दस वर्षों तक सोनिया देश को नहीं लूट पाती और देश विश्व की शीर्ष आर्थिक शक्ति बन चुका होता। उसी तरह यदि देश मोदी का साथ देता तो बिहार में जंगलराज की वापसी नहीं होती। 


            
                                                                                                                 
हा, हा, देश की कैसी दुर्दशा है कि यहाँ महाराणा प्रताप और शिवाजी का नाम लेना अपराध है। भगत सिंह को आतंकवादी कहा जाता है और याकूब मेमन, अफजल गुरू, और कसाब को शहीद का सम्मान दिया जाता है। पटेल और कलाम को सम्मान देना साम्प्रदायिकता कही जाती है। गोमाता की रक्षा असहिष्णुता करार दी जाती है। अब जाकर समझ मे आया कि हमारे वीर राष्ट्रवादियों की अनगिनत कुर्बानियों के बावजूद यह देश हजारों साल गुलाम क्यों रहा और आज भी यह गुलामी के कगार पर क्यूँ है।......Vijay Kumar Jagota