मंत्रों में महान शक्ति होती है जो हमें किसी भी प्रकार की दिक्कत से बाहर निकालती है। तो इस विषय में भी कुछ मंत्र हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं। जिनका उच्चारण करने या केवल सुनने से ही समस्या का हल निकल सकता है। इस विषय पर तीन मंत्र हैं जिनका एक के बाद एक उच्चारण करने से लाभ होता है।
मंत्र- “ॐ श्री दुर्गायै नमः – ॐ नम: शिवाय - 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”। इस मंत्र का उच्चारण एक साथ करना ही अनिवार्य है। मान्यता है कि इस मंत्र में इतनी शक्ति है कि यह मनुष्य को अपनी ओर खींचते हैं। इनका उच्चारण मात्र करने से मनुष्य प्रभु की लीला में लीन हो जाता है और अपने दिमाग में कुछ समय पहले चल रही सभी बातों को भूल जाता है।
उच्चारण के साथ यदि एक उचित आसन ग्रहण कर मंत्रों का जाप किया जाए तो मन को अत्यंत शांति प्राप्त होती है। इसके लिए न्यास नामक एक आसन प्रचलित है जिसे रोजाना करने से एक चमत्कारी संतोष प्राप्त होता है। न्यास आसन काफी आसान है। इसके लिए अपने दाहिने हाथ की पांचों अंगुलियों को जोड़ें। फिर उसे अपने शरीर के मध्य चक्र यानी कि जहां आपका मध्य चक्र आपके माथे के बीचो-बीच का स्थान है। यहां हाथ लाने के बाद उपरोक्त बताए गए मंत्रों का जाप करें। जाप करते समय सभी शारीरिक चक्रों को महसूस करें, अंतर आत्मा को महसूस करें।
धीरे-धीरे आपको अपने शरीर की एक खास ऊर्जा का आभास होगा। यह ऊर्जा शरीर में मौजूद सभी इंद्रियों को संतोष प्रदान करेगी।यह जरूरी नहीं कि न्यास आसन के साथ मंत्रों का अच्चारण घंटों तक करें। इसके लिए केवल 10 मिनट भी काफी हैं। रोजाना यह प्रक्रिया करने से आप खुद अपने में एक बदलाव महसूस करेंगे और गलत विचारों से दूर रहना सीख लेंगे। अध्यात्म के अलावा वैज्ञानिक रूप से भी गलत विचारों से बच सकने के उपाय उपस्थित हैं।
मंत्र- “ॐ श्री दुर्गायै नमः – ॐ नम: शिवाय - 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”। इस मंत्र का उच्चारण एक साथ करना ही अनिवार्य है। मान्यता है कि इस मंत्र में इतनी शक्ति है कि यह मनुष्य को अपनी ओर खींचते हैं। इनका उच्चारण मात्र करने से मनुष्य प्रभु की लीला में लीन हो जाता है और अपने दिमाग में कुछ समय पहले चल रही सभी बातों को भूल जाता है।
उच्चारण के साथ यदि एक उचित आसन ग्रहण कर मंत्रों का जाप किया जाए तो मन को अत्यंत शांति प्राप्त होती है। इसके लिए न्यास नामक एक आसन प्रचलित है जिसे रोजाना करने से एक चमत्कारी संतोष प्राप्त होता है। न्यास आसन काफी आसान है। इसके लिए अपने दाहिने हाथ की पांचों अंगुलियों को जोड़ें। फिर उसे अपने शरीर के मध्य चक्र यानी कि जहां आपका मध्य चक्र आपके माथे के बीचो-बीच का स्थान है। यहां हाथ लाने के बाद उपरोक्त बताए गए मंत्रों का जाप करें। जाप करते समय सभी शारीरिक चक्रों को महसूस करें, अंतर आत्मा को महसूस करें।
धीरे-धीरे आपको अपने शरीर की एक खास ऊर्जा का आभास होगा। यह ऊर्जा शरीर में मौजूद सभी इंद्रियों को संतोष प्रदान करेगी।यह जरूरी नहीं कि न्यास आसन के साथ मंत्रों का अच्चारण घंटों तक करें। इसके लिए केवल 10 मिनट भी काफी हैं। रोजाना यह प्रक्रिया करने से आप खुद अपने में एक बदलाव महसूस करेंगे और गलत विचारों से दूर रहना सीख लेंगे। अध्यात्म के अलावा वैज्ञानिक रूप से भी गलत विचारों से बच सकने के उपाय उपस्थित हैं।