देश वासी इस चुनाव में वोट देने के पहले जे एन यू कन्हैया काँड की संचाई जरुर पढ़ ले !!





सुप्रीम कोर्ट की प्रख्यात वकील मोनिका अरोरा ने 9 फरवरी के बाद से जे एन यू कैंपस के आस पास पंद्रह दिन कन्हैया काँड की तफ्तीश की । इस इनक्वायरी के बाद जो कुछ उन्होंने बताया उसे मैं हिंदी में अनुवादित कर रही हूँ  : 


जे एन यू में एक एंटी इंडिया ब्रिगेड, बरसों से काम कर रही है, जिसमें स्टूडेंट्स के साथ कुछ टीचर्स भी शामिल हैं ।ये पहला मौका नहीं है जब इस कैंपस में देश के खिलाफ जहर उगला गया ।

2010 में इसी कैंपस में जश्न मनाया गया था, 76 सी आर पी एफ के जवानों की शहादत का .ये वो
जवान थे, जो छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की बिछाई सुरंग में हुए विस्फोट में मारे गए थे ।देश के लिए जान देने वाले जवानों की शहादत को ये सभी सेलीब्रेट कर रहे थे ।

ये बिग्रेड नक्सली नेताओं को स्टूडेंट्स के बीच स्पीच देने के लिए इनवाईट भी करती है ।

2010 अक्टूबर में यूनिवर्सिटी में एक कन्वेंशन हुआ , जिसमें सभी एकस्ट्रीमिस्ट इकट्ठे हुए । कश्मीरी अलगाववादियों के नेता गिलानी ,नागालैंड समर्थक नागा नेता व खालिस्तान समर्थक खालसा नेता शामिल थे ।इन सबके साथ हेट इंडिया कैंपेन की लीडर अरूंधति राय भी थीं । इस सम्मेलन में भी कश्मीर की आजादी के नारे लगे ।

गत तीन सालों से इस कैंपस में संसद पर हमला करने वाले अफजल गुरू का शहादत दिवस मनाया जा रहा है ।

हर नवरात्रि में ये छात्र महिषासुर बलिदान दिवस मनाते हैं ।व इस राक्षस का वध करने वाली माँ दुर्गा के लिए जिस वल्गर भाषा का उपयोग ये लोग करते हैं ,उसे हम आप सुन भी नहीं पाएंगे ।

2015 में यहाँ से लड़कियों का एक वीडियो वायरल हुआ जो बाकायदा हाई टेक्नीक कैमरे से कमर्शियल पर्पस के लिए शूट किया गया था ।इस वीडियो के बाद लड़कियों के ब्वायज होस्टल जाने पर पाबंदी लगी । छात्रों ने इसका भी विरोध किये।

ये सारी भारत विरोधी गतिविधियाँ चलती रही किंतु यू पी ए सरकार ने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया ।

उमर खालिद को गिरफ्तार किया गया क्योंकि उसने कार्यक्रम के ठीक पहले 800 फोन बंगलादेश कश्मीर व गल्फ देशों में किए थे ।

कन्हैया ने पुलिस के सामने माना कि ये सारे नारे लगे थे पर ये नारे कश्मीरी विद्यार्थियों ने लगाए थे । जे एन यू के सुरक्षा गार्डों का कहना है कि इन छात्रो को कन्हैया ने ही कैंपस में एंटर करने की परमीशन दिलवाई थी .

न्यूज चैनलों पर जो वीडियों दिखाए जा रहे हैं इसमें पहले वीडियो को क्लीन चिट मिल चुकी । जे एन यू कैंपस में मौजूद लोगों ने ये बयान दिया है कि 9 फरवरी को इस कार्यक्रम में देशविरोधी नारे लगाए गए ।

कन्हैया, उमर खालिद समेत 400 छात्रों की मौजूदगी में जो नारे लगे वे थे : · भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह इंशाअल्लाह......· अफजल हम शर्मिंदा है तेरे कातिल जिंदा है......· कश्मीर की आजादी तक भारत की बर्बादी तक ,जंग जारी रहेगी.. कितने अफजल मारोगे घर- घर अफजल निकलेगा l


छात्र न तो फीस वृध्दि के लिए लड़ रहे थे न ही यूनिवर्सिटी की किसी प्रक्रिया से नाराज थे ये तो देश के टुकड़े करने की बात कर रहे थे ।ये अफजल को फाँसी देने वाले जजों के जिंदा रहने पर शर्मिंदा थे ।


कन्हैया की वकालत करने वही वकील सामने आए जो इशरत जहाँ व अफजल के लिए आए थे फिर एक बार गरीबी व मुफलिसी का नारा दिया गया ।ताज्जुब की बात ये है कि ये वो वकील हैं जो एक हियरिंग का पाँच लाख लेते हैं ।

जे एन यू के इस प्रकरण के बाद कश्मीर में प्रदर्शनकारियोंव सुरक्षाबलों की कई मुठभेड़े हुईं , ये प्रदर्शनकारी थैंक्यू जे एन यू के पोस्टर लिये हुए थे ।इतना ही नहीं ये भीड़ नारे लगा रही थी कितने कन्हैया पकड़ोगे ,घर – घर कन्हैया निकलेगा ।

बरसों से वकालत कर रही मोनिका कहती है कि इन छात्रों ने जो कुछ किया वो राष्ट्रद्रोह है ।

न्यज चैनल भले ही भ्रमित हैं पर जे एन यू कैंपस के आस-पास रहने वाले लोग इन्हें देशद्रोही मानते हैं इसलिए इन काँलोनियों के दुकानदारों ने इन्हें किराना देने से मना कर दिया ।

अमरीका व फ्रांस ने अपने पर हुए आतंकी हमले के बाद जो भी कदम उठाए देश में किसी ने इसका विरोध नहीं किया पर हमारे देश में जब कश्मीर में सुरक्षाबलों व आतंकियों के बीच 48 घंटे मुठभेड़ चली तब मस्जिदों से लाऊडस्पीकर पर नारे लग रहे थे भारत तेरी मौत आई लश्कर आई लश्कर ।

विश्व के कुछ देशों के द्वारा चलाई जा रही हेट इंडिया कैंपैन के मोहरे कन्हैया जैसे लोगों का सच सबके सामने लाने में आप सब मोनिकाजी की मदद कर सकते हैं ।.........Anil Thakur Vidrohi

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कन्हैया का सीधा प्रसारण किया गया तीन चेनलों ₹NDTV, ABP और आजतक लाइव किया गया...मुद्दा इतना छोटा नहीं है जितना आपने समझ लिया,l एक अंग्रेज अपने आत्मकथा में लिखता है :- 


"हिन्दूस्तान को गुलाम बनाने के लिए जब हमने पहला युद्द किया और जीतने के बाद हम जब जुलुस निकाल रहे थे । तब सारे हिंदुस्तानी जुलुस देख कर ताली बजा रहे थे । अपने ही देश के राजा के हारने पर वे खुशी से हमारा स्वागत कर कर रहे थे ।

आगे अंग्रेज़ लिखता है ... अगर उसी समय हम लोगो को वहा खड़े हिन्दुस्तानी सिर्फ एक- एक पत्थर उठाकर ही मार देते तो, हिन्दूस्तान सन् 1700 में ही आजाद हो जाता , उस समय हम अंग्रेज सिर्फ 3000 थे ।" 


आज भी हिंदुस्तानी सुधरे नहीं है, हालत वही है .........Kamlesh Chavda