स्वतंत्रता सेनानी लगते गद्दार, देश के टुकड़े करनेवाला लगते नायक, कौनग्रेस की अक़ल पर लग गया राहु का ताला।

       
                     
“Kanhaiya is new age Bhagat Singh” Shashi Tharoor. : Congress leader Shashi Tharoor has compared Kanhaiya Kumar with Bhagat Singh. What would be more shameless than that? Just before Martyr Day ie 23rd March, Shashi Tharoor stooped that low. Shashi also supported Asaduddeen Owaisi for his remark that he will never say Bharat Mata Ki Jai. According to Tharoor patriotism should not be weighed over certain slogans.

“कन्हैया कुमार का यह प्रयास है कि वह देशद्रोही नारे व अफजल मुद्दे से किसी तरह से अपने को हटाकर फोकस वेमुला मुद्दे से जोड़े दे, राहुल गांधी उसे इस मामले में सहयोग कर रहे हैं। राहुल का कन्हैया से मिलना,  घंटा भर उससे बात करना, इसी रणनीति का हिस्सा रहा है”

कौन ग्रेस की अक़ल पर, राहु का लग गया ताला।  स्वतंत्रता सेनानी लगते गद्दार, नायक देश के टुकड़े करनेवाला, कौनग्रेस की अक़ल पर, राहु का लग गया ताला। चीन के चेले पाक के यार, और देश के जितने भी गद्दार, इनके बने हुए हम प्याला , कौन ग्रेस की अक़ल पर, राहु का लग गया ताला। मनन मान 




जेएनयू का आरोपी देशद्रोही छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार एक तरफ तो अपने को तीन हजार रुपए प्रतिमाह कमाने वाले परिवार के घर का सदस्य कहकर जेएनयू की स्कॉलरशिप तुरंत बहाल करने की बात कर है। दूसरी तरफ देश में जगह-जगह जाकर राजनीतिक रूप से सभाओं को संबोधित कर रहा है। सवाल उठता है कि कन्हैया के इधऱ-उधऱ जाने और उसके खर्चों के लिए कौन फडिंग कर रहा है? अभी कुछ दिन पहले ही राहुल गांधी ने कन्हैया को बुलाकर घंटे भर उससे बात की। इससे यह यह साफ हो चला गया है कि कन्हैया को पीछे से सभी जरूरी व्यवस्था व आर्थिक सुविधा कांग्रेस उपलब्ध करा रही है। चूंकि, राहुल गांधी वेमुला मामले में खुद सक्रिय हैं। कन्हैया ने भी जमानत पर आकर वेमुला मुद्दे से अपने को जोड़ने का पूरा प्रयास कर रहा है।


कन्हैया कुमार का यह प्रयास भी है कि वह देशद्रोही नारे व अफजल मुद्दे से किसी तरह से फोकस हटाकर अपने को वेमुला मुद्दे से जोड़ने का प्रयास करे। राहुल गांधी से मिलने के बाद कन्हैया जेएनयू से बाहर निकल कर हैदराबाद पहुंचा है। वैचारिक रूप से वामपंथी कांग्रेस के संरक्षण में ही अपने को पूरी तरह से स्वतंत्र पाते हैं। पुरस्कार से लेकर सभी संस्थानों में अपना कब्जा जमाते हैं। सभी सरकारी पुरस्कार व सुविधा प्राप्त करते हैं। अत: कन्हैया पूरी तरह स राहुल गांधी व कांग्रेस के संरक्षण में आगे बढ़ने को तैयार हो गया है। हैदराबाद जाना इसी रणनीति का हिस्सा है। कन्हैया के पीछे पूरी तरह से कांग्रेस खड़ी हो गई है।