अंकुर गोयल के प्रश्न और भी बहुत है, क्या सच्चे गौसेवक किसी इंसान को मार कर उसका वीडियों बना सकते है?


अंकुर गोयल ..........कल मोदी जी ने ‪#‎जनतासेसंवाद‬ कार्यक्रम में बहुत साफ साफ बिना किसी लाग लपेट के तथाकथित आक्रामक हमलावर रुपी फर्जी गौरक्षकों पर अपना पक्ष रखा और फिर जैसी उम्मीद थी वैसा ही हुआ प्रधानमंत्री के इस वक्तव्य से वे विरोधी जिनके ईशारों पर ये फर्जी गौरक्षक काम करते है(याद रहे ऊना में हुयी घटना में जिन गौरक्षकों ने कुकृत्य किये थे वो २० साल से सत्ता से बाहर एक पार्टी विशेष के कार्यकर्ता थे और मार पीट का वीडियों भी उन्हीं के साथियों द्धारा बनाये गये थे) वे तो निःशब्द हो गये परन्तु फेसबुकिये राष्ट्रवादी जो स्वंय को आर्थिक नीति,विदेशनीति,रक्षानीति,विकासनीति आदि का प्रबल विद्दान और मोदी जी का नया विद्यार्थी मानते है वो शुरु हो गये मोदी जी को गरियाने।

मैं पूछना चाहता हूँ कि इनमें से कितनों ने आज तक गौरक्षा के लिए क्या कभी किसी गौशाला को हरा चारा तक भी दान दिया है?

क्या इन्हें पता है कि जब गाय का दूध सूख जाता है तो कौन लोग इन्हें कसाईयों को बेच आते है?

क्या ये जानते है कि दलितों की आय का साधन है चमडे का व्यापार तो इन्हें मारकर पीटकर क्या गौमाता प्रसन्न होती है?

क्या सच्चे गौसेवक जो गौमाता की निःस्वार्थ सेवा करते है उसके मारे जाने पर आहत होते है क्या वे किसी इंसान को मार सकते है उसका वीडियों बना सकते है?

इन तथाकथित गौरक्षकों के कुकृत्यों से क्या असली गौभक्तों की छवि धूमिल नहीं होती क्या जिससे इनका सेवा कार्य प्रभावित होता है?

प्रश्न और भी बहुत है परन्तु क्या कहा जायें? मोदी जी ने साफ साफ शब्दों में दो बार कहा कि कुछ लोग( ‪#‎कुछलोग‬) और यह भी कहा है कि गौभक्त और गौसेवक अलग होते है अतः इन उग्र हिंसावादी लोगों पर लगाम लगाने की सख्त आवश्यकता है।
कल मोदी जी ने इन तथाकथित गौरक्षकों की वजह से सरकार को हो रही परेशानी एक कहानी के माध्यम से आसानी से समझायी। मोदी जी ने कहा कि पूर्व समय में बादशाहों( मुगल शासकों) और राजाओं के बीच युद्ध होते थे तो बादशाह अपनी फौज के सामने गायों को खडा कर देते थे जिससे राजा गाय को आगे देखकर उनके मरने से लगने वाले पाप को सोच कर हार जाते थे।उसी तरह आज #कुछलोग अधेरें में गौरखधंधा करते है और दिन में तथाकथित गौरक्षक बम जाते है।

मतलब साफ है कि जब सरकार को किसी सीधे तार्किक मुद्दे पर नहीं घेरा जा सकता तो आज कुछ(#कुछलोग) फर्जी गौरक्षक विरोधियों के ईशारे पर जानबूझकर हुडदंग खडा करके हिंदुओं को तोडने अथवा हिंदुओं और दलितों को अलग करने के उद्देश्य से मारपीट करते है और उसका वीडियों बनाकर अपने आकाओं को दे देते है बाकि मोर्चा संभालने के लिए‪#‎प्रॆश्यायें‬ तो है ही।

जिससे सरकार के सामने राजाओं जैसा गाय को मारने पर लगेगा जैसा धर्मसंकट खडा हो जाये और सरकार हार जायें।इसीलियें राष्ट्रवादियों से निवेदन है कि इन साजिशों को समझकर धर्मयुद्द में तटस्थ रहने का प्रयास करें क्योंकि मोदी जैसे नेता सदियों में एक बार मिलते है उनकी भुजाओं को मजबूत करें ना की बिना बात के उत्तेजित होकर विरोधियों की साजिश का शिकार हो॥


           


क्या भावनात्मक होकर युद्ध लडे और जीते जा सकते है जब सामने गिद्ध हो जो लाशों की राजनीति करके हिंदुओं को तोड़कर दलित मुस्लिम समीकरण बनाने की कोशिश करते हो तो क्या करना चाहिए?

धर्मयुद्द में धैर्य,कूटनीति का विशेष रोल होता है भावनायें परिस्थितियों पर पकड ढीली करती है।और भावनात्मक मत होईये ये धर्मयुद्द आपलोग जैसे लोगों के बिना भी नहीं जीता जा सकता बस यर्थाथ में सारी परिस्थिति का विश्लेषण करके ही रियेक्ट करना चाहिए कभी कभी घर के झगडे घर में ही रखकर परिवार को टूटने से बचाया जाता है।साजिशों को समझें।

मोदी जी का मतलब साफ था ऊना घटना के बाद सेकुलरों और प्रेश्याओं के निशाने पर सभी गौसेवक और गौभक्त आ गये थे बस इसी में मोदी जी ने सच्चे गौभक्तों को बचाते हुए फर्जी गौरक्षकों को गलत बता दिया और राष्ट्रवादी इसे समझ ना पायें।