

महबूबा जी जिस तरह से केंद्र सरकार से सहयोग कर रही है तो प्रदेश की प्रगति को नए शिखर पर ले जाने के लिए मोदीजी सदैव तत्पर है और ये सहयोग और प्रगति की सोच वह अन्य राजनैतिक दलों के लिए अनुकरणीय है । देश की राष्ट्रवादी जनता महबूबा, और मोदी की कार्यप्रणाली (कश्मीर मुद्दे) से संतुष्ट और खुस नजर आ रही है । महबूबा मुफ्ती जी जिस तरह से मुखर हो कर मीडिया के सामने आकर कश्मीर की सच्चाई रख रही है तो काबिले तारीफ़ है ।
पर यह खुसी उन लोगो को फूटी आँख नही सुहा रही है जिनकी राजनीती ही "कश्मीर" पर टिकी है । जो कभी नेशनल कांफ्रेंस के साथ गलबहिया करते थे । मतलब साफ है, फारुख एंड संस कम्पनी+ जवाहर लाल एंड डाटर कंपनी और इन्ही दोनों के इशारे व् पाकिस्तान के सहारे अलगाववादी नेता (ये तीनो) जों काश्मीर को जला रहे है ।
और इस आग में घी डालने का काम देश की बिकाऊ मीडिया कर रही है । कश्मीर जल रहा है 'लगातार 50वें दिन कश्मीर में कर्फ्यू', 'मोदी की सरकार की कश्मीर की नीति असफल', 'केंद्र की सरकार ने कश्मीरियों को जोड़ने की जगह तोड़ दिया है', 'कश्मीर का जन जन मांगे आज़ादी' आदि आदि...




यही सब तो, हम लोग रोज टीवी पर अखबारों पर देखते और पढ़ते है? अब उसी में, मखमल में टाट के पैबन्द जैसा, जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री का ब्यान आजाता है की कश्मीर की 95% जनता, भारत के साथ है और विकास चाहती है और केवल 5% ही लोग ऐसे है जिन्होंने राज्य में अराजकता और अलगावाद का मौहोल बना रखा है।
यह क्या है? यदि कश्मीर के केवल 5% लोग ही इस अराजकता में शामिल है तो फिर 50 दिन से कर्फ्यू क्यों है ? यह बात समझ में बिलकुल भी नही आयी और यही लगा की महबूबा मुफ़्ती ने एक राजनैतिक बयान दे कर मूल बात से मुँह छिपा लिया है। इसका गम्भीरता से अध्ययन किया तो पाया, दोनों ही बाते सही है। महबूबा मुफ़्ती ने 5% का बयान दे कर सत्य से मुँह नही छिपाया था बल्कि भारत की मीडिया ने, या तो एजेंडे के तहत या फिर टीआरपी के लिए भारत की जनता से कुछ सत्य छिपाया है। आज इसी को लेकर एक लेख मे कुछ डाटा दिए गए थे। उसी डाटा को पढे ताकि देश यह समझ सके की कश्मीर और उसकी कश्मीरियत का असली सच क्या है।
भारत की मिडिया ने भी इस पर बात न करके, शेष भारत को बरगलाया है और एक एजेंडे के तहत, कश्मीर को भारत से अलग करने की एक कोशिश की है। इन बरखा दत्त, राजदीप, सगिरका, राणा अयूब, रवीश, शेखर गुप्ता,राहुल कंवल, अरुण पूरी ऐसे लोगो ने भारत की जनता को यह नही बताया की जम्मू कश्मीर के 22 जिलों में से सिर्फ 5 जिलों में यह अराजकता है।श्रीनगर,अनंतनाग,बरमुल्लाह,कुलगाम,पुलवामा शहरों को छोड़ कर, शेष 17 जिलों की जनता पूरी तरह से भारतीयता का वरण किये हुए है।
भारत की मिडिया ने भी इस पर बात न करके, शेष भारत को बरगलाया है और एक एजेंडे के तहत, कश्मीर को भारत से अलग करने की एक कोशिश की है। इन बरखा दत्त, राजदीप, सगिरका, राणा अयूब, रवीश, शेखर गुप्ता,राहुल कंवल, अरुण पूरी ऐसे लोगो ने भारत की जनता को यह नही बताया की जम्मू कश्मीर के 22 जिलों में से सिर्फ 5 जिलों में यह अराजकता है।श्रीनगर,अनंतनाग,बरमुल्लाह,कुलगाम,पुलवामा शहरों को छोड़ कर, शेष 17 जिलों की जनता पूरी तरह से भारतीयता का वरण किये हुए है।