क्यों न मांगे फिर एक बार मोदी सरकार !

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7वें वेतन आयोग में रिटायर्ड शिक्षकों को मोदी सरकार की बड़ी सौगात, पेंशन में 300% की बढ़ोतरी। मोदी सरकार में 3 गुणा तेज़ी से हो रहे विकास कार्य, विपक्ष की नाकामी साबित करने के लिए काफी हैं। 
क्यों न मांगे Phir Ek Baar Modi Sarkar

क्या राहुल गाँधी हास्य नेता है और प्रधानमंत्री बनने की लाइन में मायावती, दीदी के पीछे लाइन में खड़े है !

General Gabbar Singh : मै तो भाई भारतीय सेना में भर्ती होने के पहले द्वितीय विश्व युद्ध में दो साल सबमेरीन चलाता था !!

राजीव गाँधी भारत के प्रधानमंत्री बनने के पहले पायलट थे ! 
सोनिआ गाँधी बोली कांग्रेस की प्रेजिडेंट बनाने के पहले मै इटली में रेस्टुरेंट में थी !
राहुल गाँधी कांग्रेस के प्रेजिडेंट बनने के पहले छोटे बच्चे पप्पू थे ! 
अब वो हास्य - कविता वाले नेता है और प्रधानमंत्री बनने की लाइन में मायावती, दीदी के पीछे लाइन में खड़े है !


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Coca-Cola did not become a global brand raking in billions because of a shikanji wallah's expertise at “mixing sugar in water,” as claims. Coke was invented as a need to cure morphine addiction.

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१) नगर निगम की शुरआत:- सोनू निगम ने की l 

२) दलेर मेहंदी गाने से पहले मेहंदी लगाया करते थे। 

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भारतीय सेना 10 सर्वश्रेष्ठ अनमोल वचन जिन्हे पढकर सच्चे गर्व की अनुभूति होती है !

भारत के थल सेनाध्यक्ष जनरल विपिन रावत ने चाहा है कि भारत का हर व्यक्ति भारतीय सेना के बारे में नीचे लिखे वाक्यों को अवश्य पढ़े।आपसे सादर आग्रह है कि कृपया इन अमूल्य 'राष्ट्र रक्षा सूत्रों' को विभिन्न माध्यमों से अधिक से अधिक देशवासियों तक पहुँचाने में सहयोग कीजिए.




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भारतीय सेना 10 सर्वश्रेष्ठ अनमोल वचन: अवश्य पढें।
इन्हें पढकर सच्चे गर्व की अनुभूति होती है...
1.
" *मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा या फिर तिरंगे में लिपटकर आऊंगा, लेकिन मैं वापस अवश्य आऊंगा।*"
- कैप्टन विक्रम बत्रा,
परम वीर चक्र

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2.
" *जो आपके लिए जीवनभर का असाधारण रोमांच है, वो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी है।* "
- लेह-लद्दाख राजमार्ग पर साइनबोर्ड (भारतीय सेना)
3.
" *यदि अपना शौर्य सिद्ध करने से पूर्व मेरी मृत्यु आ जाए तो ये मेरी कसम है कि मैं मृत्यु को ही मार डालूँगा।*"
- कैप्टन मनोज कुमार पाण्डे,
परम वीर चक्र, 1/11 गोरखा राइफल्स


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4.
" *हमारा झण्डा इसलिए नहीं फहराता कि हवा चल रही होती है, ये हर उस जवान की आखिरी साँस से फहराता है जो इसकी रक्षा में अपने प्राणों का उत्सर्ग कर देता है।*"
- भारतीय सेना
5.
" *हमें पाने के लिए आपको अवश्य ही अच्छा होना होगा, हमें पकडने के लिए आपको तीव्र होना होगा, किन्तु हमें जीतने के लिए आपको अवश्य ही बच्चा होना होगा।*"
- भारतीय सेना
6.
" *ईश्वर हमारे दुश्मनों पर दया करे, क्योंकि हम तो करेंगे नहीं।"*
- भारतीय सेना



7.
" *हमारा जीना हमारा संयोग है, हमारा प्यार हमारी पसंद है, हमारा मारना हमारा व्यवसाय है।*
- अॉफीसर्स ट्रेनिंग अकादमी, चेन्नई
8.
" *यदि कोई व्यक्ति कहे कि उसे मृत्यु का भय नहीं है तो वह या तो झूठ बोल रहा होगा या फिर वो इंडियन आर्मी का ही होगा।*"
- फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ

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9.
" *आतंकवादियों को माफ करना ईश्वर का काम है, लेकिन उनकी ईश्वर से मुलाकात करवाना हमारा काम है।*"
- भारतीय सेना
10.
" *इसका हमें अफसोस है कि अपने देश को देने के लिए हमारे पास केवल एक ही जीवन है।*"
- अॉफीसर प्रेम रामचंदानी




💐💐 🙏🙏🙏 💐💐
🙏
हम इसे आगे बढाते जाएं... 👍
सबको इंडियन आर्मी से रूबरू कराये।
।।जयहिंद......

'पद्मावत', तीन घंटे लंबी इस लचर फिल्म का नाम तो असल में 'खिलजावत' होना चाहिए था l

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'पद्मावत' , तीन घंटे लंबी इस फिल्म का नाम तो असल में 'खिलजावत' होना चाहिए था, क्योंकि पूरी फिल्म खिलजी के इर्दगिर्द घूमती है, खिलजी के कैरेक्टर को ही सबसे ज्यादा फुटेज मिली है। पद्मावती और राजा रतन सिंह की कहानी तो इस फिल्म का महज एक हिस्सा है। कुछ प्वाइंट  रख रहा हूं।

1- 'पद्मावत' का अगर इतना विरोध नहीं होता तो ये फिल्म कभी भी हिट नहीं हो सकती थी, क्योंकि बेहद ढीली-ढाली फिल्म है। रफ्तार बहुत सुस्त है। क्लाइमेक्स सीन जरूरत से ज्यादा लंबा खींच दिया गया है। भव्यता रचने के चक्कर में संजय लीला भंसाली ड्रामा रचने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं।

2- हमेशा की तरह पूरी फिल्म संजय लीला भंसाली ने अंधेरे में शूट की है, यहां तक कि धूप में गरमी के सीन में भी वो खिलजी को पसीना-पसीना दिखाते हैं, लेकिन सूरज यहां भी नहीं दिखता। यही नहीं पद्मावत के इंतजार में पूरा दिन एक जगह खड़े दिखाते हैं, लेकिन उस दिन भी सूरज नहीं निकलता। राजा रतन सिंह और खिलजी का युद्ध भी दिन में होता है, फिर भी कहीं धूप नहीं दिखाई पड़ती। ये अंधेरा अब संजय लीला भंसाली की फिल्मों में टाइप्ड हो गया है और बहुत खटकता है।

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3- फिल्म में राजपूती आन-बान और शान को खूब बढ़ाचढ़ाकर दिखाने की कोशिश की गई है। राजपूत कटी गर्दन के बावजूद लड़ते दिखाए गए हैं। गोरा सिंह और बादल के किरदार राजपूती शान की कहानी कहते हैं। राजा रतन सिंह की पीठ में कई तीर घुस जाते हैं, लेकिन वो मुंह के बल नहीं गिरते, उनकी मौत जब होती है तो वो घुटने के बल बैठकर, सीना ताने आकाश की तरफ देख रहे होते हैं। महारानी पद्मावती की शान में खूब कसीदे काढ़े गए हैं। करणी सेना वाले अगर फिल्म देखकर विरोध की सोचते तो चार लोग भी सड़क पर नहीं आते।

4- फिल्म में रानी पद्मावती को विदुषी नारी, युद्धनीति की माहिर दिखाया गया है। फिल्म में पद्मावती और खिलजी का कहीं आमना-सामना नहीं है,। आईने के जरिए धुएं के बीच सिर्फ 1 सेकेंड की झलकी ही खिलजी को दिखाई गई है। ना कहीं ड्रीम सिक्वेंस है और ना ही कहीं खिलजी के खयालों में पद्मावती आती है। खिलजी पूरी फिल्म में पद्मावती की छाया भी नहीं देख पाया है।

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5- इस फिल्म के विरोध में तो मुसलमानों और ब्राह्मणों को आवाज उठानी चाहिए थी, राजपूतों को नहीं। क्योंकि इसमें ब्राह्मण कुलगुरु को लंपट, कामी, विश्वासघाती और दुश्मनों के साथ मिलकर चित्तौड़ को बर्बाद करने का कारक दिखाया गया है। बाद में उसका सिर कटवाकर खिलजी पद्मावती के पास भेज देता है। फिल्म में खिलजी को क्रूर, अय्याश और लौंडेबाज (गे) दिखाया गया है। उसका सबसे करीबी गुलाम मलिक गफूर है, जिसे राजपूत कहते हैं कि उसे खिलजी की बेगम ही समझो। प्रतीकात्मक दृश्य में खिलजी और मलिक गफूर के शारीरिक रिश्ते भी दिखाए गए हैं। खिलजी को इतना बड़ा लंपट दिखाया गया है कि सुल्तान की बेटी निकाह के लिए उसकी राह देख रही है, वो किसी और के साथ अय्याशी कर रहा है।

6- संजय लीला भंसाली फिल्म बनाते-बनाते पहले भी भटक जाते रहे हैं, इस बार कुछ ज्यादा ही भटक गए। घायल अवस्था में तलवार लिए अकेला खिलजी राजमहल में पद्मावती की तलाश में घूम रहा है, पद्मावती सैकड़ों रानियों और दासियों के साथ जौहर करने जा रही हैं। जो हालात थे, उसमें अगर पद्मावती और बाकी राजपूत रानियों ने तलवार उठा ली होती तो खिलजी की गरदन उनके कदमों में होती। राजपूतों को युद्ध करने, जीत हासिल करने की योजनाएं बनाने की जगह लफ्फाजी करते हुए ज्यादा दिखाया गया है। ऐसी तमाम चूकों की दास्तान है पद्मावत।

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7- सिनेमाघर से बाहर निकलते वक्त सिर्फ दो किरदार याद रह जाते हैं और एक भाव। किरदार जो याद रह जाते हैं वो हैं अलाउद्दीन खिलजी और मलिक गफूर। भाव जो रह जाता है वो ये है कि इस फिल्म के लिए संजय लीला भंसाली को जितना कोसा जाए उतना कम है । फिल्म का विरोध तो लचर फिल्म बनाने के लिए होना चाहिए था।

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8- अभिनय की बात करें तो अलाउद्दीन खिलजी की क्रूर, वहशी, हवसी, मक्कार और राक्षस टाइप की भूमिका में रणबीर सिंह छाए हुए हैं, हालांकि कई जगह वो ओवरएक्टिंग के शिकार हुए हैं। ऊपर से भंसाली ने ऐसे कैरेक्टर को फिल्म में डांस भी करवा दिया है, गाना भी गवा दिया है, पूरी फिल्म पर खिलजी का ही कब्जा है। शाहिद कपूर ने मेहनत तो की है, फिर भी राजा रतन सिंह रावल के किरदार को वो जीवंत नहीं कर पाए हैं, भूमिका के लिए शाहिद बिल्कुल मिसफिट थे।

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दीपिका पादुकोण के किरदार पद्मावती पर ही फिल्म का नाम है, लेकिन संजय लीला भंसाली ने उन्हें भी ठग लिया। फिर भी जितनी भूमिका उन्हें मिली, दीपिका ने उसके साथ न्याय किया है। खिलजी की बीवी के किरदार में अदिति राव हैदरी ने दमदार मौजदूगी दर्ज कराई है। लेकिन मलिक गफूर के किरदार में नीरजा फेम जिम सरभ ने कमाल का अभिनय किया है, यादगार अभिनय किया है। गे गुलाम के किरदार को निभाते-निभाते जैसे पूरे किरदार में ही समा गए हैं।


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9- भव्यता के चक्कर में पद्मावत में ना तो प्रेम कहानी परवान चढ़ पाई और ना ही दुश्मनी। संजय लीला भंसाली ने इसे चूं-चूं का मुरब्बा बना दिया है। फिल्म बनाने पर डर हावी है, लिहाजा क्लाइमेक्स पूरा नहीं हुआ, बस आखिर में संदेश ही आता है। संजय लीला भंसाली ने पद्मावत बनाकर अपने तमाम दर्शकों को निराश किया है, लेकिन करणी सेना को उन्होंने वही फायदा दिया है, जो फायदा मंदिर आंदोलन ने बीजेपी को दिया था।

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10- फिल्म पद्मावत पर मेरी राय से आप इत्तेफाक रख सकते हैं, नहीं भी रख सकते हैं, लेकिन मेरी नजरों का सच यही है कि पद्मावती जैसी किरदार पर बनी फिल्म और संजय लीला भंसाली जैसे फिल्मकार का इससे नाम जुड़ने पर सहज ही कुछ अपेक्षाएं हो जाती हैं, उन अपेक्षाओं पर ये फिल्म खरी नहीं उतरती। जिन्हें भव्यता से प्रेम है, जो रणबीर सिंह के दीवाने हैं, उन्हें ये फिल्म बहुत रास भी आएगी।


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एक सज्जन की कॉमेंट्स है...आप भी पढ़िए.......
(ये मेरे निजी विचार हैं, इसे फिल्म की समीक्षा ना समझा जाए)

History in Making: 10 ASEAN Leaders at India's Republic Day Celebrations.

History in making: 10 leaders who will be there at India's Republic Day celebrations

These leaders will also take part in the two-day ASEAN-India Commemorative Summit in the national capital beginning Thursday.In a first, leaders of 10 countries from the Association of Southeast Asian Nations (ASEAN) member-states will be present as chief guests during the Republic Day celebrations this year. 

The leaders participating in the Republic Day parade are President Joko Widodo of Indonesia, Prime Minister Lee Hsien Loong of Singapore, Prime Minister Nguyen Xuan Phuc of Vietnam, Prime Minister Najib Razak of Malaysia, General Prayuth Chan-o-cha of Thailand, Aung San Suu Kyi of Myanmar, Philippines president Rodrigo Duterte, the Sultan of Brunei Haji Hassanal Bolkiah,  Prime Minister Thongloun Sisoulith of Laos and Hun Sen, the Prime Minister of Cambodia.

These leaders will also take part in the two-day ASEAN-India Commemorative Summit in the national capital beginning Thursday. The event will mark 25 years of India’s ties with the southeast Asian bloc.

दावोस वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम को इसबार मोदीजी एक नई पहचान देंगे !

दावोस समिट: ट्रंप, जिनपिंग और पुतिन को बर्फ में योग सिखाएगा भारत : स्विटजरलैंड के शहर दावोस में 23 जनवरी से 27 जनवरी तक वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) समिट होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शिरकत कर रहे हैं. दावोस समिट में पीएम मोदी योग को भी प्रमोट करेंगे. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पीएम का डेलीगेशन दावोस समिट में बर्फ में योग की क्लास देगा। 

 Media studios in the conference centre at Davos

शुक्रवार को विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) में भारत इस बार सशक्त भूमिका दिखाना चाहता है. समिट में दुनियाभर से आए राष्ट्राध्यक्षों और दुनिया की टॉप कंपनियों के सीईओ को योग की क्लास देने पीएम मोदी के डेलीगेशन में 2 योगा टीचर भी जा रहे हैं. बता दें कि मोदी के नेतृत्व में योग से भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिली है। 

इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन डिपार्टमेंट के हेड रमेश अभिषेक ने बताया, "इस बार समिट में हम अपनी उपलब्धियों का प्रदर्शन करेंगे. भारत से दो योग टीचर भी दावोस जा रहे हैं. हम वहां बर्फ में योग करने की संभावना भी तलाशेंगे." उनके मुताबिक, "समिट में भारतीय व्यंजनों और भारतीय संस्कृति का प्रदर्शन भी किया जाएगा। "

समिट में ट्रंप से मिलेंगे मोदी : दावोस समिट में पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात होगी. मोदी और ट्रंप पिछले साल दो बार मिल चुके हैं. दोनों की पहली मुलाकात वॉशिंगटन डीसी में और दूसरी मुलाकात आसियान बैठक के दौरान हुई थी. दावोस समिट में होने वाली मुलाकात में दोनों देश के नेता आपसी आर्थिक संबंधों को मजबूती देने पर चर्चा कर सकते हैं। 

Impressions from the Annual Meeting 2017


20 साल बाद किसी भारतीय PM का दावोस दौरा : आखिरी बार 1997 के दावोस सम्मेलन में तत्कालीन पीएम एचडी. देवेगौड़ा शामिल हुए थे. उनके बाद किसी भारतीय पीएम ने इस सम्मेलन में शिरकत नहीं की. 20 साल बाद मोदी ऐसे पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे, जो इस सम्मेलन में शामिल होंगे. बता दें कि पीएम मोदी इस समिट में सिर्फ एक सेशन को ही संबोधित करेंगे। 


डब्ल्यूईएफ सम्मेलन में करीब 3000 लोग हिस्सा लेंगे. ये सम्मेलन 22 से 27 जनवरी तक चलेगी. इस बार सम्मेलन का विषय ‘विभाजित दुनिया में साझा भविष्य का सृजन’ रखा गया है. इस बार दावोस सम्मेलन की चेयरमैनशिप सात महिलाओं को सौंपी गई है. इनमें भारत की एंटरप्रेन्योर और एक्टिविस्ट चेतना सिन्हा भी शामिल हैं. इस सम्मेलन में दुनिया की टॉप कंपनियों के सीईओ भी शामिल हो रहे हैं. वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ के तमाम अफसर भी इस सम्मेलन में मौजूद रहेंगे। 


भारत से कौन-कौन हो सकते हैं शामिल : डब्ल्यूईफ सम्मेलन में इस बार काफी तादात में भारतीयों की मौजूदगी होगी. इसमें रिलायंस ग्रुप के मालिक मुकेश अंबानी, चंदा कोचर, उदय कोटक समेत कई कंपनियों के सीईओ का नाम शामिल है. दावोस सम्मेलन में वित्त मंत्री अरुण जेटली, वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु, रेल मंत्री पीयूष गोयल, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के शामिल होने की संभावना है. वहीं, बॉलीवुड से शाहरुख खान और डायरेक्टर करण जौहर इसमें हिस्सा ले सकते हैं। 


शामिल होंगे रघुराम राजन : रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की चीफ क्रिस्टीन लाग्रेडे के भी इसमें आने की संभावना है. दुनिया के करीब 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस सम्मेलन में हिस्सा ले सकते हैं। 

क्या है लाभ के पद का मामला, जिससे गई 20 आप विधायकों की सदस्यता !!

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क्या है लाभ के पद का मामला, जिससे गई 20 आप विधायकों की सदस्यता : दिल्‍ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्‍व वाली आम आदमी पार्टी सरकार के 20 विधायकों को सदस्यता के अयोग्य ठहरा दिया गया है. चुनाव आयोग पहले ही सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

क्या था मामला : आप के 21 विधायक दिल्ली सरकार में संसदीय सचिव बना दिए गए थे. विधायक होते हुए वो इस पद पर नहीं रह सकते थे क्योंकि ये लाभ का पद माना जाता है. इसी वजह से सदस्यता चली गई. विधायक जरनैल सिंह ने पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए पहले ही दिल्ली विधानसभा की सदस्यता छोड़ दी थी। 

क्या कहता है संविधान : संविधान के अनुच्‍छेद 102(1)(A) और 191(1)(A) के अनुसार संसद या फिर विधानसभा का कोई सदस्य अगर लाभ के किसी पद पर होता है तो उसकी सदस्यता रद्द हो सकती है. यह लाभ का पद केंद्र और राज्य किसी भी सरकार का हो सकता है। १) - भारत के संविधान में इसे लेकर स्पष्ट व्याख्या है। २) - जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 9 (A) के तहत भी सांसदों और विधायकों को अन्य पद लेने से रोकने का प्रावधान है।


कब से कब तक चला ये मामला : आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था. हाईकोर्ट ने आठ सितंबर 2016 को 21 आप विधायकों की संसदीय सचिवों के तौर पर नियुक्तियों को दरकिनार कर दिया था. अदालत ने पाया था कि इन विधायकों की नियुक्तियों का आदेश उप राज्यपाल की सहमति के बिना दिया गया था। 

वही 19 जून को प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया. राष्ट्रपति की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई। केंद्र ने भी जताई थी आपत्ति : केंद्र सरकार ने भी विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के फैसले का विरोध करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में आपत्ति जताई थी. केंद्र सरकार ने कहा था कि दिल्ली में सिर्फ एक संसदीय सचिव हो सकता है, जो मुख्यमंत्री के पास होगा. इन विधायकों को ये पद देने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है। 


जया बच्चन पर भी ठहराई गईं थी अयोग्य : 2006 में ही जया बच्चन पर भी आरोप लगा कि वह राज्यसभा सांसद होने के साथ-साथ यूपी फिल्म विकास निगम की चेयरमैन भी हैं। इसे 'लाभ का पद' माना गया और चुनाव आयोग्य ने जया बच्चन को अयोग्य ठहरा दिया. जया बच्चन ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. यहां भी उन्हें राहत नहीं मिली. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि अगर किसी सांसद या विधायक ने 'लाभ का पद' लिया है तो उसकी सदस्यता जाएगी चाहे उसने वेतन या दूसरे भत्ते लिए हों या नहीं। 

मुस्लिम नेता रूमाना सिद्दीकी के बयान से देश के सेकुलरों को जोर का झटका लगने वाला है l.

भाजपा की मुस्लिम नेता की दहाड़! कहा- रोहिंग्या आतंकियों के साथ-साथ उन मुसलमानों को भी भगाओ जो..
भाजपा की मुस्लिम नेता रूमाना सिद्दीकी के इस गजब के बयान से देश के सेकुलरों को जोर का झटका लगने वाला है. साथ ही देश के गद्दारों की भी सारी हेकड़ी निकल जाएगी.
देश के गद्दारों के लिए शायद इससे अच्छा जवाब और कुछ हो ही नहीं सकता. आएये हम आपको बताते हैं भाजपा नेता रूमाना सिद्दीकी जी का वो लेख, जिसमें उन्होंने गजब की बातें लिखी हैं.
रूमाना सिद्दीकी जी का लेख..
“56 इस्लामिक देशो के पैरो की फुटबॉल रोहंगिया मुसलमान” रोहिंग्या मुसलमान को भारत में बसा लो, राम जन्मभूमि पर अस्पताल बनवा दो, गाय खाने दो, हज सब्सिडी दे दो, ख़ून पसीने का टैक्स दे दो, अल्पसंख्यक दर्जा, अलग राज्य और फिर भारत के टुकड़े भी करवा दो। जिस थाली में खाएंगे उसी में छेद कर डालेंगे।
धर्मनिरपेक्षता और मानवता का सारा ठेका हिन्दुओ ने ले रखा है क्या ? यह हिंदुस्तान हैं इसके नाम में ही हिन्दू है। इस धर्म के साथ राष्ट्रीयता जुड़ी है। पाकिस्तान में 1 करोड़ 25 लाख हिन्दुओ ने दम तोड़ दिया, उनका मारा काटा गया, बहन बेटियो से बलात्कार किये गए, धर्म बदलवाया गया पर हिन्दू गद्दार नही होते राष्टवाद और स्वाभिमान उनके ख़ून में होता है!
आखिर उन्होंने इतना ज़ुल्म होने के बाद भी अपना पाकिस्तान देश नही छोड़ा। बेचारे अब सिर्फ 10 लाख हिन्दू रह गए पाकिस्तान में। वही भारत में हिन्दुओ ने मुस्लिमो को फलने फूलने का पूरा मौका दिया और 1947 में 2 करोड़ से 20 करोड़ तक आ पहुँचे।
हर देश का मुसलमां भारत में ही क्यों रहना चाहता है ? उनका अपना देश है वहाँ से क्यों निकल जाते है ? शायद भारत में वे सबसे ज्यादा सुरक्षित है इसलिए। भारत के मुसलमां मुल्ला मौलाना मौलवी ओवैसी बुख़ारी जाकिर बरकती ये सब पाकिस्तान के गुणगान करते है, खाते भारत की गाते पाक की। लहु में ही ग़द्दारी है और नस्ले खराब है। आप तो पाक को अपना बाप मानते हो ना, फिर बोलो उस पाक से की इन 20 लाख रोहंगिया मुस्लिमो को अपने देश में शरण दो। क्यों नही बोलते ?
आप दिन रात पीएम मोदी पर ही भोंकना जानते हो पर पाक के खिलाफ एक लफ्ज भी नही ? अरे बेशर्मो अपना घर अपना ही होता है अपना देश अपनी जान होता है। पाकिस्तान न तो रोहंगिया को शरण देगा न ही भारत के मुस्लमानो को फिर चाहे दिन रात उसके तलवे चाटो। 70 साल से तो चाट ही रहे हो।
सऊदी अरब की टेंट सिटी मीना, जंहा 50 स्वायर किलोमीटर जमीन पर 5 लाख एयर कंडीशनर टेंट खाली पड़े हैं जो 50 लाख लोगों को बसेरा दे सकते हैं ये टेंट फायर प्रूफ हैं, और बाथरूम और किचन से युक्त हैं, हज के बाद ये टेंट सिटी पूरे साल वीरान रहती है। फिर क्यों इन मुस्लिमो को उनमे शरण नही दी जा सकती ? कम से कम खुले आसमान के नीचे नही सोना पड़ेगा, और किसी काफ़िर के सामने हाथ भी नही फैलाना पड़ेगा।
शायद इनकी शक्ल सूरत अच्छी नही, इनके पास अपना कुछ नही, इनकी बिबिया बेटिया सुंदर खूबसूरत नही, इनको इंसानो का मांस चाहिए, इनको विस्तार चाहिए और ऊपर से बम गोला बारूद ak47 भी चाहिए। यही वजह है के 56 इस्लामिक देशो में से एक देश का भी मुँह नही फूटा के भाइयो मेरे यहाँ आ जाओ।
भारत में जब से सम्राट अशोक ने अश्त्र त्याग दिए दे तब से भारत का विघटन शुरू हुआ और हिन्दुओ कत्लेआम तब से आज तक हो रहा है। भारत ने मुस्लिमो को अफगानिस्तान, इंडोनेशिया, तालिबान, पाकिस्तान जैसे जमीन के भारी भरकम बहुत बड़े भु भाग दिए पर मुस्लिमो ने इन भु भागो पर आतँकवाद शैतान जेहाद की बड़ी फौज खड़ी की जिसमे ये देश आज खुद ही परेशान है।
आखिर मुस्लिमो का भला कब होगा ? ये भारत में ही क्यों आते है ? ख़ून खोलता है इन सवालो से ही। भारत ने 10 करोड़ लोगो को अपने यहाँ शरण दी पर सबने भारत को नोच नोचकर खाया। 1972 में बांग्लादेश और पाकिस्तान से 2 करोड़ से ज्यादा मुस्लिमो को भारत में शरण दी गई जब उनको वहाँ से मार भगाया। तब 56 मुस्लिमो देशो की आँखे फुट गई थी जब अब भारत को मानवता का पाठ पढ़ा रहे है।
मानवता मानव के लिए होती है दानव के लिए नही। हम भारत के हिन्दुओ मुस्लिमो को भी अपना पेट पालना है। हमारे बच्चों को भी घर, शिक्षा, रोजगार चाहिए फिर हम अपने संसाधनों पर किसी दूसरे को हक क्यों दे ?
ऐसे मुस्लिमो को मार भगाओ जो साले देशद्रोही भारत के तिरंगा को सलाम न कर सके। राष्टगान न गा सके। इनको शरण देदो भारत में पर भारत माता की जय और वंदेमातरम् नही बोलेंगे। ऊपर से भारत के खिलाफ ही जेहाद करेंगे। Ak 47 उठाएंगे। काहे के भारतीय हो बे फिर ? गोली मार देनी चाहिए ऐसे लोगो को।
आज भारत की मिडिया, मानवाधिकार, राजनितिक दल, 56 इस्लामिक देश, और न जाने कौन कौन पीएम मोदी को नसीहत दे रहे है। जैसे सभी का ख़ून है इस मिट्टी में किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़े ही है। हाँ हिन्दुओ के बाप का हिंदुस्तान है। रोहंगिया का कौन सा ख़ून है इस मुल्क़ की मिट्टी में कोई है जो जवाब देगा ? भारत के मुस्लिमो ने भी 1947 में पाकिस्तान के पक्ष में जनमत दिया था फिर भारत मुस्लिमो का भी नही।
वैसे भारत अब कम्युनल हो रहा है, असहिष्णु हो रहा है जब यहाँ रहकर देश का एक उपराष्ट्रपति तक डरता है फिर पहले से ही डरे हुए मुस्लिमों के इस देश में बेचारे रोहिंग्याओं को क्यों बसाया जाए?
जय हिन्द! वंदेमातरम्! भारत माता की जय!
रूमाना सिद्दीक़ी
भारतीय मुस्लिम।




Ronnie Patel

BISHVA BANGLA-- A GREAT THOUGHT SACRIFICED TO POLITICS

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Distortion of Rajput History by Mughalisation of Padmavati.

There was no recorded history of Padmini who also is famous by the name of Padmavati till Malik Mohammad Jayashi wrote Padmavat in 1540, two years before his death. Note that Khilji died in the year 1316. There is a huge gap of years in between and no evidence till date has been found to justify the existence of Padmini. 

All the folklore and written account of Padmini came into existence after Padmavat was written. Many historians say that Padmavat is the imagination of the Sufi poet. This post is not to shun the existence of Rani Padmini. She could have existed or not makes much different today but we should respect the fact that even if it is merely a folklore, it has inspired lacs of women to be strong, to learn to fight, to protect their honour or to never give up. 

We are talking about an era when women had no exposure, were not educated, were not allowed to even go out. Folklores made a tremendous effect on their minds and they lived by those examples. 

Though Padmini could be a myth, it is a recorded fact that Khilji invaded to strengthen his military power, to loot the wealth and to take away their beautiful women. Khilji had the tremendous weakness for women. He took immense pleasure in converting Hindu women and keeping them in his harem. Out of his six wives, Rani Kamal Devi (later converted) and princess of Deogarh was prominent Hindu figures.

Khilji also had a weakness for beardless boys. He was fascinated by Malik Kafur’s effeminate beauty and ended up buying the slave for a thousand Dinars during his conquest of Gujarat. Originally he was a handsome Hindu named Manik; he was captured in a raid on Khambhat. Kafur took full advantage of Khilji’s enamour for him and rose through the ranks to become the Malik Naib (deputy ruler). The passionate affair between Malik Kafur and Khilji have several written accounts and mention.

In the end, as faith had it written Khilji became very ill in the year 1316. Malik Kafur took the chance and killed Khilji to remove him from the throne. He made Khilji’s 13-year son the puppet sultan. Later he was killed as well.There was no recorded history of Padmini who also is famous by the name of Padmavati till Malik Mohammad Jayashi wrote Padmavat in 1540, two years before his death. 

Note that Khilji died in the year 1316. There is a huge gap of years in between and no evidence till date has been found to justify the existence of Padmini. All the folklore and written account of Padmini came into existence after Padmavat was written. Many historians say that Padmavat is the imagination of the Sufi poet.


Nayan Chowdhury Nayan

पद्मावती को रिशुूट कर असली इतिहास के हिसाब से बना देगें...फिर कर्णी सेना असहिष्णु हिन्दू वर्ग अट्टाहासों के घेरे में होगा !


किसी का भी ध्यान नहीं गया क्या ? सेंसर बोर्ड नाटकीय ढंग से पद्मावती फिल्म वापस करने की ओर! कुछ पत्रकारों के सामने फिल्म की स्क्रीनिंग और सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म को वापस करने के निहितार्थ और परिणामों कि ओर किसी ने सोचा भी है क्या ?


मेरे ऑबजर्वेशन से तो पत्रकारों को निश्चय ही कुछ आपत्तिजनक लगा होगा ...... यदि ये आपत्ति सार्वजनिक होती तो विरोध करने वालों के लॉजिक पर मोहर लग जाती ...... लेकिन सेंसर बोर्ड के लोगों से मिलीभगत कर फिल्म बड़ी चालाकी से वापस ले ली गयी .... मात्र इस ऑबजेक्शन के साथ कि एप्लिकेशन पर एतहासिक/काल्पनिक ऑप्शन वाला खाना खाली छोड़ा गया था...... और फिल्म के कुछ सीन एड इरीज और हल्के फुल्के रिशूट हो सकें उसके लिए टाइम देने के लिए बहाना बना कर 'कह दिया सेंसर से पास हुये बिना पत्रकारों को क्यों दिखाई ...... '

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अव ये तो निश्चित है कि फिल्म बिलकुल राजपूताना गौरव की कहानी के साथ ही प्रसारित होगी ..... फिल्म की वापसी ही मौलिक कहानी के अनूरुप कुछ दृश्यों की अदला बदली के लिए हुयी है ......अब फिल्म तो हमारी अपेकषा के अनुरूप बन जाएगी........ लेकिन सेंसर बोर्ड और रजत शर्मा अर्णव के संयुक्त नाटक से हास्यास्पद स्थिति आखिर किसकी बनाने वाली है ? निश्चय ही फिल्म का भारी विरोध करने वाले वर्ग की ही ना ! 

अब जिस दिन पद्मावती रिलीज होगी उस दिन कर्णी सेना सहित फिल्म विरोधी सम्पूर्ण वर्ग अट्टाहासों के घेरे में होगा ....

हम लोगों को बहुत बढ़ी बदनामी देने की पटकथा पर शूटिंग कर..सेंसर बोर्ड और दो दिन से पेड वर्कर्स या विज्ञापनों की तरह फिल्म की तारीफ़ कर रहे रजत शर्मा और अर्णव ने अपनी फिल्म रिलीज कर दी है....इन तीनों के फिल्म प्रोडकसन ने हम लोगों के विरोध करने की शक्ति पर हमेशा हमेशा के लिए सवालिया निशान लगा दिया है ? 1000 1200 करोड़ का मैटर है, 100 200 करोड़ की हड्डियां कुत्तो को डाल दी होगी भांड ने फ़िल्म के प्रमोशन के लिए, तो पूछ हिलाना तो बनता है....

अब बात को समझिए... फिल्म को दुबारा रिशुूट करके वह सब कुछ असली इतिहास के हिसाब से बना देगें... फिर दुनिया को दिखाएंगे कि मैने बिलकुल सही फिल्म बनाई थी, देश के असहिष्णु हिन्दू गैर वाजिब विरोध कर रहे थे... फालतू मे गुंडागर्दी कर रहे थे... हो सकता वह भंसाली यह भी कह दे कि करनी सेना और तमाम राजपूत हिन्दू संगठन या हिन्दू संगठन विरोध के नाम पैसे ऐंठने का जुगाड़ कर रहे थे...और देश की तमाम लोग इस बात को मान भी लैगें कि हाँ भंसाली सही था... विरोध करने वाले लोग ही गलत कर रहे थे.....
साभार Kamlesh Nahar

देवी दुर्गा रक्षा मंत्री, देवी लक्ष्मी वित मंत्री - वेंकैया नायडू

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देवी दुर्गा रक्षा मंत्री, देवी लक्ष्मी वित मंत्री - वेंकैया नायडू
(नवरात्रि के दूसरे दिन आज उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने उस युग को याद किया जब देवी रक्षा मंत्री होती थीं। नवरात्रि में दुनियाभर में देवी दुर्गा की पूजा शक्ति के प्रतीक के रूप में की जाती है।
वेंकैया ने यहां इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस लीडरशिप समिट 2017 के 15वें संस्करण को संबोधित करते हुए कहा, पुराणों से हमें पता चलता है, देवी सरस्वती शिक्षा मंत्री, देवी दुर्गा रक्षा मंत्री और देवी लक्ष्मी वित मंत्री होती थीं।
कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने तालियां बजाकर उनके बयान का स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि भारतीय महिलाओं की ताकत के लिए हमारे दर्शन ... हमारी संस्कृति में उन्हें सर्वोच्च महत्व दिया गया था।
हमारे देश की प्रमुख नदियों गंगा, यमुना, कावेरी, नर्मादा, महानदी, ताप्ती सबके नाम महिलाओं के नामों पर है।
वेंकैया ने महिला सशक्तिकरण और महिलाओं को समान अवसर देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, हम अपने देश को भी भारत माता या मदर इंडिया कहते हैं।

अमिताभ बच्चन का नरेंद्र मोदी को जन्मदिन पर संदेश, "आश्चर्य ...अब कोई आश्चर्य नही, अब ये हमारा सकल्प है !

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने पीएम नरेंद्र मोदी को जन्मदिन पर जो संदेश भेजा, उसे पढ़कर आप भावुक हुए बिना नहीं रह सकेंगे!
आइए! पढ़ते हैं अमिताभ ने क्या लिखा अपने इस बधाई सन्देश में.
परम आदरणीय और सम्माननीय प्रधान मंत्री,
श्री नरेंद्र मोदी जी,
आपके जन्म दिवस पे, अपने,
और अपने परिवार की ओर से, आपको शुभकामनाएं
अर्पित करता हूँ , और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ की
आप स्वस्थ रहें और दीर्घायु हों ….



आपसे पहला परिचय,आपका निवास स्थान,मुख्यमंत्री,गुजरात :
घर, साधारण से भी साधारण, और कमरा उससे भी साधारण …. ‘Pa’
फिल्म के लिए Tax Exemption की माँग … कहा,मैं फिल्म देखूँगा,साथ
अपनी गाड़ी में बैठाकर theatre में जाना,फिल्म देखना,उसके बाद
वहीं भोजन साथ करना …. घर वापस आना,
ऐसे ही, Gujarat Tourism की बात करना,और विदाई …..
आश्चर्य …. !!!
हफ्ते भर के अंदर Gujarat Tourism के अधिकारी
पूरी जानकारी लेकर मुम्बई मेरे पास उपस्थित ,
काम आरम्भ करने के लिए
…. और कुछ ही दिनों में काम शुरू !
आश्चर्य …. !!!
काम के दौरान,मेरी मांग,
की कोई भी राजनीतिज्ञ से न मिलना चाहूंगा न चाहूंगा की वे,
जहाँ काम कर रहा हूँ,उपस्थित हों
….. जितने दिन-महीने काम किया ,
एक भी राजनीतिज्ञ नहीं दिखा,
और न ही मिलने आया ….
आश्चर्य …. !!!
Gujarat में जहाँ कहीं भी,
किसी भी दिन, काम के लिए पहुंचा,
पहला phone आपका – ” स्वागत !
किसी भी चीज़ की ज़रुरत पड़े तो मुझे phone कीजियेगा ;
बाहर बहुत गर्मी है, बीच बीच में थोड़ा आराम करते रहिये गा,
और पानी पीते रहिये गा। .. !
आश्चर्य … !!!

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महीनों बाद Tourism काम की समाप्ति पर,
अचानक एक दिन आपका मेरे Hotel में आगमन,
मुझे धन्यवाद देने के लिए,
एक Dwarka मंदिर की छवि की भेंट,और विदाई …. !
आश्चर्य …. !!!
देश के आम चुनाव के दौरान आपके भाषण सुनना,
और एक दिन आप की विजय प्राप्ति की घोषणा …. !
कोई आश्चर्य नहीं … !!!
प्रधानमंत्री पद पे आपकी नियुक्ति, Parliament में आपका प्रवेश,
आपके विचार, आपके अनेक आम कार्यक्रमों की घोषणा,
उनपर व्यतिगत monitoring करते रहना,
विदेश में भारत की छवि और भारत की प्राथमिकता पर
विश्व को जागृत करना … !
कोई आश्चर्य नहीं … !!!
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किसी भी शादी ब्याह या आम कार्यक्रम में मुझे दूर से पहचान लेना,
और मिलके कोई ऐसी व्यक्तिगत बात करना :
” Uttarayan के समय छत पे पतंग उड़ाते,
आपकी उंगली कट गयी थी,अब कैसी है,ठीक है ?”
कोई आश्चर्य नहीं …. !!!
स्वच्छ भारत अभियान,बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान ,
TB,Hepatitis B,किसानों और
आम आदमी के लिए आर्थिक सुरक्षा का अभियान ,
पानी बचाओ अभियान,शौचालाय बनाने का अभियान –
इन सब पर आपके विचार और उनसे देश को जागृत करना … !
कोई आश्चर्य नहीं … !!!
इन सभी विषयों पर पहले कभी भी इतनी एकाग्रता,
और दृढ़ता से देश को और समाज को परिचित कराना …!

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अब … कोई आश्चर्य नहीं … !
अब ये हमारा सकल्प है … !
और प्रत्येक देश वासी इन सभी कार्यक्रमों में यदि अपना योगदान न दे ,
तो निराशा तो होगी ही, लेकिन … !
आश्चर्य भी होगा … !!!
आदरणीय मोदी जी, इस जन्म दिवस पे,
ये ‘आश्चर्य’ की धारणा सभी पे बनी रहे, यही ईश्वर से प्रार्थना है …. !
स्नेह आदर सहित,
अमिताभ बच्चन...

साभार Ronnie Patel